September 22, 2024

RGPV में करोड़ों के घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में

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भोपाल

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार की परियोजना टीईक्यूआईपी-3 के अंतर्गत की गई खरीदी में कमीशन लेकर बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इस गड़बड़ी में कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसकी जांच शुरू जरूर की गई, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। अधिकारियों की मिलीभगत के चलते उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इससे केंद्र सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है।

सॉफ्टवेयर में किए गए घोटाले की शिकायत तकनीकी शिक्षा विभाग में दर्ज कराई गई है। इसकी जांच के लिए अगस्त में कमेटी भी गठित की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। आरजीपीवी में कोरोना काल दिसंबर 20 से 30 अप्रैल 21 तक आरजीपीवी कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता, रजिस्ट्रार आरएस राजपूत और को-आॅर्डिनेटर एससी चौबे खरीदी ने पांच करोड़ रुपए के सॉफ्टवेयर खरीदे। कोविड-19 काल में लॉकडाउन और जनता कर्फ्यू के चलते आरजीपीवी में विद्यार्थी, प्रोफेसर, अधिकारी व कर्मचारी सहित अन्य स्टाफ घर पर बैठा हुआ था। तब पांच करोड़ रुपए के सॉफ्टवेयर किसके लिए खरीदे गए। शिकायतकर्ता सूरज प्रकाश गांधी ने शिकायत में आरोप लगाया है कि कोरोनाकाल में जिन प्रोफेसरों और छात्रों के द्वारा आवश्यकता और उपयोगिता दी है, वे सब फर्जी है। सख्ती होने पर करोड़ों रुपए के घोटाले के सभी राज खुलकर सामने आए जाएंगे। इसमें खरीदी गई सामग्री का नाम और स्पेशिफिकेशन की वास्तविकता सामने आएगा।

ये है मामला
आरजीपीवी ने कोरोना काल में एक निजी कंपनी की मदद से सॉफ्टवेयर को आरजीपीवी में ही डेवलप किया गया था। इसका संचालन यूनिवर्सिटी से होना था। आरजीपीवी ने पेपर का पैटर्न भी बदल दिया था। इसी के साथ अन्य विवि को भी इसी सॉफ्टवेयर से जोडा जाना था, लेकिन अब यह सॉफ्टवेयर आरजीपीवी में अपनी एक्सपायर होने का इंतजार कर रहा है।

वर्तमान में सभी परीक्षाएं  हो रही हैं आफलाइन
सॉफ्टवेयर के उपयोग से आरजीपीवी आनलाइन परीक्षाएं ले सकेगा। इसके खर्च भी काफी अब आएगा। आरजीपीवी सालाना दो लाख विद्यार्थियों का एग्जाम लेता है। इसमेें 5 से 6 करोड़ रुपए खर्च होता था। हरेक विद्यार्थी पर 250 रुपए खर्च होता था। इसमें कॉपी व पेपर प्रिंटिंग सहित ट्रांसर्पोटेशन खर्च शामिल हैं, लेकिन सॉफ्टवेयर के उपयोग से खर्च करीब 30 रुपए प्रति छात्र होना था। इससे खर्च 60 लाख पर पहुंचता। वर्तमान में सभी परीक्षाएं आॅफलाइन हो रही हैं।

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