उमर खालिद, शरजील इमाम को जेल में चाहिए खास सुविधा, अदालत ने अधिकारियों को लगाई फटकार
नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को तिहाड़ जेल के अधिकारियों को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में शरजील इमाम और उमर खालिद सहित सात आरोपियों को हफ्ते में तीन बार पांच मिनट के लिए कैदी टेलीफोन कॉल की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यूएपीए के तहत आरोपों का सामना कर रहे आरोपियों को न्यायिक हिरासत की शुरुआत से दैनिक आधार पर पांच मिनट के लिए कॉल सुविधा देने के लिए जेल प्रशासन की खिंचाई की।
अदालत ने कहा कि जेल प्रशासन नियमों का पालन करें और बिना किसी भेदभाव के निरंतरता बनाए रखें। खालिद, इमाम, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, शरजील इमाम, तस्लीम अहमद और अतहर खान ने अपने-अपने परिवारों के साथ बातचीत के लिए रोजाना पांच मिनट की फोन कॉल सुविधा जारी रखने के लिए आवेदन दायर किया था। यह सुविधा सितंबर 2022 में खत्म कर दी गई थी।
सोमवार को एक अन्य आरोपी मीरान हैदर ने भी कैदी दैनिक फोन कॉल की सुविधा बहाल करने के लिए आवेदन दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि समग्र स्थिति और आचरण रिपोर्ट पर विचार करने के बाद मौजूदा आवेदनों का निपटान किया जाता है। संबंधित जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया जाता है कि वे उक्त कैदियों को अपने-अपने परिवारों से बात करने के लिए हफ्ते में केवल तीन बार पांच-पांच मिनट की फोन कॉल सुविधा प्रदान करें। सभी आरोपी दंगों की साजिश से संबंधित मामलों में बंद हैं।
अदालत ने आवेदकों की दलीलों पर गौर करते हुए पाया कि न्यायिक हिरासत की शुरुआत के बाद से आरोपियों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ दैनिक आधार पर बातचीत करने के लिए पांच मिनट की फोन कॉल सुविधा प्रदान की गई थी। इस सुविधा को बाद में बंद कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि दिल्ली जेल कानून के नियम 631 के अनुसार, राज्य के खिलाफ अपराध, आतंकी गतिविधियों आदि के आरोपी या कैदी या विचाराधीन कैदी टेलीफोन कॉल सुविधा के हकदार नहीं थे।
अदालत ने कहा- उक्त नियम के अनुसार रोजाना टेलीफोन कॉल सुविधा की मांग करने वाले आवेदक, जो गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपी हैं, इस सुविधा के पात्र नहीं हैं। हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत की शुरुआत से पांच मिनट के लिए दैनिक आधार पर फोन कॉल की सुविधा दी गई। कानून अधिकारी, जेल (मुख्यालय) ने माना है कि इस मामले में जेल प्राधिकरण का दृष्टिकोण सही नहीं था और ऐसी सुविधा देना जेल नियमों की अवहेलना था। संबंधित तिहाड़ जेल प्रशासन को नियमों का पालन करना चाहिए और आरोपियों के साथ बिना भेदभाव के पेश आना चाहिए।