सिर उठा रहा खालिस्तान, प्रवासियों में बढ़ रहा क्रेज; ऑपरेशन ब्लू स्टार के कमांडर ने जताई चिंता
नई दिल्ली
पंजाब से लेकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खालिस्तानी आतंकवादियों की बढ़ती हरकतें चिंता बढ़ाने वाली हैं। इस बीच खालिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व करने वाले सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड़ ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट फिर से सिर उठा रहा है और उसे पाकिस्तान की ओर से समर्थन मिल रहा है। कुलदीप सिंह बराड़ 1971 की जंग का भी हिस्सा थे और खालिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कमांडिंग ऑफिसर भी थे।
बराड़ कहते हैं कि भारत के पंजाब सूबे के अलावा विदेशों में भी खालिस्तान फिर से सिर उठा रहा है। वह कहते हैं कि यह टेंशन बढ़ाने वाला है। मैं ब्रिटेन गया तो वहां कई जगहों पर भिंडरावाले की तस्वीरें देखीं। विदेश जाने वाले हमारे डायस्पोरा को आखिर क्या हुआ है? विदेशों में बसे हमारे भारतीय लोग खालिस्तान के ज्यादा समर्थक नजर आ रहे हैं।' पंजाब के हालात पर उन्होंने कहा, 'हां, पंजाब में खालिस्तान का मूवमेंट फिर से सिर उठा रहा है। पाकिस्तान भी इन लोगों को मदद कर रहा है। लंदन, कनाडा, अमेरिका और पाकिस्तान में भी तमाम लोग ऐसे हैं, जो खालिस्तान मूवमेंट का उभार चाहते हैं।'
बराड़ पर भी जानलेवा हमला कर चुके हैं खालिस्तानी
सिखों के ही एक धार्मिक पंथ दमदमी टकसाल का भिंडरावाले मुखिया बन गया था। वह ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान अपने हथियारबंद समर्थकों के साथ मारा गया था। भारतीय सेना के इस ऑपरेशन के तहत स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर छिपे उग्रवादियों के खिलाफ ऐक्शन लिया गया था। 1 जून से 8 जून तक यह ऑपरेशन चला था, जिसमें भिंडरावाले को मार गिराया गया था। भिंडरावाले और उसके समर्थकों ने गोल्डन टेंपल में भी बड़े पैमाने पर हथियार जमा कर रखे थे। कुलदीप सिंह बराड़ खुद भी खालिस्तानी आतंकवादियों के निशाने पर रहे हैं। 10 साल पहले उन पर एक जानलेवा हमला भी हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे।
जब भिंडरावाले की छवि 11वें सिख गुरु जैसी बन गई
बातचीत में बराड़ ने 1980 के दौर के हालात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'तब पंजाब के हालात बेहद खराब थे। कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची थी। पुलिस की कोई ताकत नहीं रह गई थी। गांव में पैदा हुआ एक शख्स संत जैसा हो गया था। उसका व्यक्तित्व ऐसा करिश्माई था कि लोग उसमें सिख पंथ का 11वां गुरु देखने लगे थे, जिसका नाम जरनैल सिंह भिंडरावाले था। धीरे-धीरे पंजाब में भिंडरावाले का ही वर्चस्व हो गया और सरकार भी उसके आगे कमजोर पड़ गई। कत्ल होने लगे, तस्करी होती थी और बैंकों को सरेआम लूट लिया जाने लगा।'