NSA अजित डोभाल और अमेरिका के बीच हाई टेक गुफ्तगू,चीन की पेशानी पर पड़े बल
वॉशिंगटन
जून 2008। भारत और अमेरिका के बीच परमाणु सहयोग समझौते पर बातचीत अडवांस स्टेज में थी। बराक ओबामा प्रशासन में दोनों देश इतिहास लिखने के करीब थे। लेकिन, तभी वॉशिंगटन की एक जिला अदालत ने अमेरिका के साउथ कैरोलिना, सिंगापुर और बैंगलोर में कार्यालयों वाली एक इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म के सीईओ पार्थसारथी सुदर्शन को 35 महीने की जेल की सजा सुना दी। उन पर भारत को 500 की संख्या में i960 माइक्रोप्रोसेसरों को अवैध रूप से निर्यात करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। अमेरिका का आरोप था कि इन चिप का इस्तेमाल भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों, स्पेश शटल शिप और तेजस सहित लड़ाकू विमानों के विकास के लिए होने वाला था।
दुकान से खरीदे जा सकते थे इससे अडवांस चिप
जबकि, सच्चाई यह थी कि i960 चिप इतने बुनियादी थे कि किसी दुकान पर इससे अधिक अपग्रेडेड माइक्रोप्रोसेसर आसानी से खरीदे जा सकते थे। तब चीन, अमेरिका के साथ भारत की समानता के सवाल पर हंस रहा था। जबकि वह आसानी से अमेरिकी निर्यात प्रतिबंधों की अनदेखी कर अपने व्यापार को बढ़ा रहा है। यहां तक कि चीन को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियारों की डिजाइन संबंधी क्लासीफाइड जानकारियां भी आसानी से मिल रही थीं। उस समय अमेरिका पर चीन का प्रभाव काफी ज्यादा था। हालांकि, यह ज्यादा दिनों तक चल नहीं सका।
चीन को भांपते ही बदल गया अमेरिका का रवैया
अमेरिका को जैसे ही चीन के खतरे का अंदाजा हुआ, पीढ़ियों से चला आ रहा भारत के प्रति उसका गलत रवैया एकदम से बदल गया। ओबामा ने भारत के साथ परमाणु समझौते को हरी झंडी दे दी। इसी के साथ भारत-अमेरिका संबंधों की नई पटकथा की शुरुआत हो गई। ऐसे ही एक डेवलपमेंट में भारत और अमेरिका के शीर्ष अधिकारी इस हफ्ते महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (Initiative on Critical and Emerging Technologies- iCET) पर यूएस-इंडिया इनिशिएटिव को आगे बढ़ाने के लिए बैठक कर रहे हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य संबंधों को मजबूत करना और आपसी विश्वास से एक भरोसेमंद इको-सिस्टम को विकसित करना है।
वॉशिंगटन पहुंची भारत की हाईटेक टीम
मई 2022 में राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी निर्णय के बाद शीर्ष भारतीय रणनीतिक और वैज्ञानिक प्रमुखों का एक प्रतिनिधिमंडल आज वॉशिंगटन में अपने अमेरिकी समकक्षों से मिल रहा है। भारतीय शिष्टमंडल की संरचना खुद इस बात का संकेत दे रही है कि यह बैठक कितनी महत्वपूर्ण है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इसमें शामिल दूसरे सदस्यों में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, प्रधान मंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, अजय कुमार सूद शामिल हैं। उनके अलावा रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी सतीश रेड्डी; दूरसंचार विभाग के सचिव के राजाराम और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक समीर कामत भी मौजूद हैं।
सेमीकंडक्टर निर्माण पर जोर देने की कोशिश
सोमवार को यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स ने आईसीईटी के समर्थन में सेमीकंडक्टर डिजाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग, कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स, अडवांस टेलीकम्यूनिकेशंस, कॉमर्शियल स्पेस, एयरोस्पेस एंड डिफेंस और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े उद्योगों के बड़े अधिकारियों के साथ एक राउंड टेबल कांफ्रेंस आयोजित की। इस आयोजन की मेजबानी यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल ने की। इसमें अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की उपस्थिति में, अधिकारियों ने क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के अवसरों पर चर्चा की।
अमेरिकी एनएसए ने भारत की तारीफ की
राउंड टेबल कांफ्रेंस के दौरान एक प्रमुख मुद्दा यह था कि कैसे दोनों सरकारें सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को प्रोत्साहित करने सहित प्रौद्योगिकी के मुद्दों पर एकसाथ मिलकर काम कर सकती हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि आईसीईटी, दोनों देशों के टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन से कहीं अधिक है, यह हमारे स्ट्रैटजिक कंवर्जेंस और पॉलिसी एलाइंगमेंट में तेजी लाने के लिए एक मंच है। उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली प्राथमिकता की एक सूची बनाना चाहते हैं। इसमें दोनों पक्षों की बाधाओं को दूर करने और बड़े लक्ष्यों को पाने की कोशिश की जाएगी।