September 22, 2024

आर-पार के मूड में उपेंद्र कुशवाहा, जगदेव जयंती पर अलग कार्यक्रम से जेडीयू में भारी घमासान

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 पटना 

 जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में जारी घमासान और तेज होने के कयास लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जगदेव जयंती पर गुरुवार को अलग कार्यक्रम करने जा रहे हैं। कुशवाहा का संगठन महात्मा फूले समता परिषद की ओर से पटना के अलावा सभी जिलों में जगदेव जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर उपेंद्र अलग कार्यक्रम करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

बीते कई दिनों से सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए उपेंद्र कुशवाहा आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। हाल ही में पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने साफ कर दिया था कि वे 2 फरवरी को किसी भी हालत में जगदेव जयंती पर समता परिषद के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि जेडीयू नेताओं की ओर से उन्हें यह कार्यक्रम करने से रोका जा रहा है, मगर वे रुकने वाले नहीं हैं। 

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पार्टी के सभी नेताओं का अपना-अपना सामाजिक आधार होता है। सभी नेता किसी न किसी सामाजिक संगठन से जुड़े हुए हैं। इन्हीं संगठनों के जरिए वे अपने राजनीतिक जीवन को मजबूत करते हैं। जगदेव जयंती पर आयोजन कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यक्रम है। 

कुशवाहा ने महाराणा प्रताप की जयंती पर पटना में हुए कार्यक्रम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर महाराणा प्रताप की जयंती का कार्यक्रम भी सामाजिक संगठन ने ही करवाया था, उसमें भी नीतीश कुमार समेत जेडीयू के बड़े नेता शामिल हुए थे। ऐसे में उनकी संस्था को जगदेव जयंती पर आयोजन से क्यों रोका जा रहा है। दूसरी ओर, जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र को चेतावनी देते हुए कहा था कि जेडीयू जब जगदेव जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, तो सामाजिक संगठन की तरफ से अलग आयोजन की कोई जरूरत नहीं है। अगर पार्टी आयोजन नहीं करती, तो उपेंद्र कुशवाहा इसका अलग आयोजन कर सकते थे। अगर वे अलग आयोजन करते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
 
कौन थे जगदेव प्रसाद?

जगदेव प्रसाद का जन्म 2 फरवरी 1922 को हुआ था। उन्हें बिहार लेनिन नाम से भी जाना जाता है। जगदेव बाबू का नाम बिहार के क्रांतिकारी राजनेताओं में शुमार है। उन्होंने दलित और पिछड़ा समुदाय के उत्थान के लिए कई कार्य किए। आजादी के बाद वे सोशलिस्ट और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में रहे। 'सौ में नब्बे शोषित हैं' के नारे का जगदेव सिंह ने खूब प्रचार किया और पिछड़ों के हक में आवाज उठाई। 5 सितंबर 1974 को अरवल जिले के कुर्था में प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में उनकी मौत हो गई। इसलिए समर्थकों ने जगदेव सिंह को 'शहीद' का दर्जा दिया था।
 

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