November 26, 2024

मनरेगा बजट में चलाई कैंची,भड़के CM भूपेश बोले -मजदूर विरोधी है भाजपा

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रायपुर
 मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में मनरेगा की राशि कम कर दी है। मोदी सरकार ने इसे घटाकर 60 हजार करोड़ रुपया कर दिया है। इसे लेकर सीएम भूपेश ने एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है। सीएम भूपेश मनरेगा बजट में कटौती को लेकर ट्वीटर पर लिखा कि भारतीय जनता पार्टी का चरित्र मजदूर विरोधी चरित्र है। केंद्र सरकार गरीबों के मुंह से निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देते है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार दोपहर अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक पोस्ट डाली। लिखा – जब कोरोना के रूप में मानवता पर बड़ा संकट आया तब मनरेगा जैसी योजना मज़दूरों का संबल बनी, उनकी रीढ़ बनी। इस बार मनरेगा का बजट 89, 400 करोड़ रुपए से घटाकर 60, 000 करोड़ रुपया कर दिया गया। यह भाजपा का मज़दूर विरोधी चरित्र है, जो गरीबों के मुंह से निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देते हैं।

एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बजट को अमृतकाल का मृत बजट बताया था। उन्होंने लिखा- अमृत बजट को समझने के लिए कुछ तथ्य आपके साथ साझा कर रहा हूं। यह केंद्रीय बजट 2023-24 किसान, मजदूर, निम्न वर्ग के लिए सिर्फ निराशा का एक और बूस्टर डोज है।

बजट वाले दिन छत्तीसगढ़ के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, यह निर्मला जी का निर्मम बजट कहा जा सकता है। न इसमें युवाओं के लिए कोई सुविधा है, न किसानों की आय दोगुना करने की बात है, न महिलाओं के लिए है और न ही ट्राइब्स के लिए है। न शेड्यूल ट्राइब्स के लिए कुछ है। कहा जाए तो यह बजट केवल चुनाव को देखकर बनाया गया है। इसमें किसी को कोई सहूलियत नहीं दी गई है।

सीएम ने आगे कहा एक चीज चौंकाने वाला है। रेलवे के लिए दो लाख 45 हजार करोड़ रुपए बजट में रखा गया है। क्या यह कर्मचारियों के लिए है? नई भर्ती के लिए है ? ऐसा तो नहीं है कि जैसे एयरपोर्ट को बेचने से पहले सैकड़ों-हजारों करोड़ रूपए उसके नवीनीकरण में लगाया और फिर निजी हाथों में बेच दिया। इसी प्रकार की सोच तो नहीं है कि केंद्र सरकार की कि रेलवे को भी चकाचक कर निजी क्षेत्र को बेच दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा था, इस बजट से छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से निराशा मिली है।

जब कोरोना के रूप में मानवता पर बड़ा संकट आया तब मनरेगा जैसी योजना मज़दूरों का संबल बनी, उनकी रीढ़ बनी।

इस बार मनरेगा का बजट 89,400 करोड़ रू से घटाकर 60,000 करोड़ रू कर दिया गया।

यह भाजपा का मज़दूर विरोधी चरित्र है, जो ग़रीबों के मुँह से निवाला छीनकर पूँजीपतियों को देते हैं।

 

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