असम में बाल विवाह के खिलाफ सख्ती, महिलाओं का फूटा गुस्सा; पुलिस ने किया लाठीचार्ज
गुवाहाटी
असम में हेमंत बिस्वा सरमा सरकार बाल विवाह के खिलाफ व्यापक मुहिम चला रही है। महिलाओं ने कई जगहों पर सरकार के इस कदम का विरोध किया जो कि पुलिस के साथ झड़प में बदल गया। धुबरी में तमराहा पुलिस थाने के सामने एकत्रित महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। महिलाओं का कहना था कि उनके पतियां या बेटों को रिहा किया जाए। बता दें कि शुक्रवार से ही मुख्यमंत्री ने इस मुहिम का ऐलान कर दिया था जो कि 6 दिन तक जारी रहेगी। अब तक 2,300 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
एक 55 सा की महिला निरोदा डोले ने कहा, 'केवल पुरुषों को ही क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? हमारे बच्चे और हम कैसे जिंदा रहेंगे। हम कमाने वाले नहीं हैं।' बारपेटा की एक महिला ने कहा, मेरा बेटा नाबालिग के साथ भाग गया था लेकिन इसकी सजा मेरे पति को क्यों दी जा रही है? मोरीगांव की रहने वाली मोनोवाड़ा खातून ने कहा, जब शादी हुई थी तब मेरी बहू 17 साल की थी। लेकिन अब वह 19 साल की है और प्रेग्नेंट है। ऐसे में उसका खयाल कौन रखेगा?
बता दें कि असम में 4 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। वहीं इस मुहिम में पुलिस की लिस्ट में 8000 आरोपी हैं। पुलिस ने51 पुरोहीत और काजी को भी गिरफ्तार किया है जो कि बाल विवाह कराने में शामिल थे। राज्य सरकार ने हाल ही में फैसला किया है कि जिन लोगों ने 14 साल से कम उम्र की लड़की से शादी की है उनपर POCSO ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होगा और जिन्होंने 14 से 18 साल की लड़की से शादी गी है उनपर प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरेज ऐक्ट 2006 के तहत केस दर्ज होगा।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने असम सरकार से पूछा है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है उनके परिवारों की देखभाल कौन करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरमा सरकार ऊपरी असम के लोगों को जमीन दे रही है लेकिन निचले असम को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि असम 6 और भी राज्यों में शासन करती है लेकिन वहां ऐसी मुहिम क्यों नहीं चलाई गई।