November 26, 2024

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान पर कसा शिकंजा, सेना के खिलाफ बोलने पर नया कानून, इमरान फसेंगे!

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 पाकिस्तान 
भीषण आर्थिक संकट में पाकिस्तान फंसा हुआ है, लेकिन शहबाज शरीफ की सरकार देश को आर्थिक दलदल से बाहर निकालने की बजाए, लोगों से बोलने का अधिकार भी छीन रही है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार ने एक नया विधेयक तैयार किया है, जिसमें पाकिस्तान के आपराधिक कानून में बदलाव का प्रस्ताव लाया गया है। इस नये प्रस्ताव में कहा गया है, कि जो कोई भी, किसी भी माध्यम से देश की शक्तिशाली सेना और न्यायपालिका का मजाक उड़ाएगा या उसे बदनाम करेगा, उसे पांच साल की जेल की सजा या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों भरना होगा।
 
बोलने के अधिकारी पर हमला?
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नये कानून के इस प्रस्ताव को पाकिस्तान के कानून मंत्रालय ने तैयार किया है और इसे आंतरिक मंत्रालय ने इसकी देखरेख की है, जिसका मकसद पाकिस्तान की दंड संहिता (पीपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन करना है। डॉन के मुताबिक, जल्द ही शहबाज सरकार की कैबिनेट इस प्रस्ताव को विधेयक के तौक पर देश की नेशनल असेंबली में पेश कर सकती है, या फिर कैबिनेट प्रस्ताव के जरिए पहले ही इसे कानून का रूप दे दिया जा सकता है और बाद में सरकार इसे नेशनल असेंबली में पेश कर सकती है। इस कानून को खासतौर ऐसा डिजाइन किया गया है, ताकि इससे सेना के खिलाफ लगातार आक्रामक रहे इमरान खान पर नकेल कसी जाए।
 

सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी मीडिया पर नये बिल पर रिपोर्ट आने के बाद शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और लोग काफी कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हाल में पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर सेना की भरपूर आलोचना की गई है, खासकर इमरान खान के समर्थकों ने देश की बर्बाद स्थिति के लिए सीधे तौर पर सेना को जिम्मेदार ठहराया है। इमरान खान खुद पाकिस्तान की विदेश नीति की भारतीय विदेश नीति से तुलना कर, पाकिस्तान की सेना को कटघरे में खड़ा करते आए हैं, वहीं, इमरान खान देश की अदालतों को भी नहीं बख्स रहे हैं, लिहाजा शहबाज शरीफ सरकार के इस नये प्रस्ताव का मुख्य मकसद इमरान खान के मुंह को बंद करना है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि आंतरिक मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सारांश और विधेयक जल्द ही संघीय कैबिनेट को भेज दिया जाएगा।

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