जातिवाद पर बोले मोहन भागवत- जातियों में हिंदू समाज फंस गया, ईश्वर ने हम सबको एक ही बनाया
नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर रविवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भगवान ने हमेशा यह कहा कि मेरे लिए तो सभी लोग एक हैं। उनमें कोई जाति या वर्ण नहीं है। उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, 'ईश्वर सत्य है और वह हर जगह विद्यमान है। कोई भी नाम हो, योग्यता हो या पद हो। कोई भी अंतर नहीं है। कुछ पंडितों ने शास्त्रों के नाम पर गलत जानकारी दी। हम जाति श्रेष्ठता के नाम पर भ्रमित हो गए। इस भ्रम को अलग रखना होगा।'
मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज के बंटवारे का फायदा दूसरों ने उठाया है। इसके चलते ही हमारे देश पर आक्रमण हुए। बाहर से आए हुए लोगों ने यह फायदा उठाया। संघ प्रमुख ने यह बयान मुंबई में संत रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिया। RSS चीफ ने कहा कि देश में विवेक, चेतना सभी एक है, उसमें कोई अंतर नहीं हैं… बस मत अलग-अलग हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या हिंदू समाज को देश में नष्ट होने का भय दिख रहा है? यह बात आपको कोई ब्राह्मण नहीं बताने वाला। आपको खुद उसे समझना होगा। भागवत ने कहा कि हमारी आजीविका का मतलब समाज के प्रति जिम्मेदारी भी होती है। जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया।
सिर्फ पेट भरना धर्म नहीं: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा, 'यह मेरा सौभाग्य है कि संत रविदास की जयंती पर कुछ बोलने का मुझे मौका मिला है। संत रविदास ने कहा कि कर्म करो, धर्म के अनुसार कर्म करो। समाज को जोड़ने का काम करो। समाज की उन्नति के लिए काम करना ही तो धर्म है। सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना धर्म नहीं है। यही वजह थी कि समाज के बड़े-बड़े लोग संत रविदास के भक्त बन गए।'
'किसी भी हाल में मत छोड़िए धर्म'
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संत रविदास तुलसीदास, कबीर, सूरदास से ऊंचे थे… यही वजह है कि वह संत शिरोमणि कहलाए। संत रविदास शास्त्रार्थ में ब्राह्मणों से भले न जीत पाए हों, लेकिन उन्होंने लोगों के मन को छू लिया और यह विश्वास दिया कि भगवान हैं। उन्होंने कहा, 'सत्य, करुणा, अंतर पवित्र, सतत परिश्रम और चेष्टा का मंत्र संत रविदास ने समाज को दिया। आज की परिस्थिति को ध्यान में रखिए और किसी भी हाल में धर्म मत छोड़िए। संत रविदास समेत जितने भी बुद्धजीवी हुए, उन सभी का कहने का तरीका कुछ अलग-अलग रहा लेकिन मकसद तो हमेशा एक था- धर्म से जुड़े रहिए।'
मोहन भागवत ने छत्रपति शिवाजी का किया जिक्र
RSS प्रमुख भागवत ने कहा कि काशी का मंदिर टूटने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को खत लिखकर कहा था कि 'हिंदू-मुसलमान सब एक ही ईश्वर के बच्चे हैं। आपके राज में एक के ऊपर अत्याचार हो रहा है, वह गलत है। सब का सम्मान करना आपका कर्तव्य है। अगर यह नहीं रुका तो तलवार से इसका जवाब दूंगा।'