पत्नी ऑफिस में करती है हंगामा, पति की शिकायत पर हाईकोर्ट ने मंजूर किया तलाक
बिलासपुर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Bilaspur High court) ने तलाक खारिज करने के मामले में लगी याचिका पर एक अलग ही नजरिए से देख कर इस केस पर फैसला सुनाया है. पति की अर्जी पर फैमिली कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच की दरार को मानते हुए पति के तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया है और तलाक का फैसला सुनाया. इस फैसले के खिलाफ पत्नी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंच गई और याचिका के माध्यम से तलाक के फैसले को निरस्त करने की मांग की.
इस मामले में कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस केस से जुड़े सभी पहलुओं को देखते हुए और सबूत के आधार पर माना कि पति के लिए पत्नी का व्यवहार क्रूरता है. पति पर अवैध संबंध का आरोप और हंगामा यह सब क्रूरता की श्रेणी में आता है. मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पत्नी की याचिका खारिज करते-करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.
2010 में हुई थी शादी
धमतरी जिला के कुरूद के सब इंजीनियर ने साल 2010 में रायपुर की रहने वाली एक विधवा महिला से शादी की थी. विवाह के बाद कुछ सालों तक सब कुछ ठीक चलता रहा. इस दौरान उनकी एक संतान भी हुई. लेकिन, कुछ सालों में ही पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आने लगी. पत्नी ने पति पर परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया और पति दबाव में आते हुए माता-पिता से अलग रहने लगा, लेकिन इसके कुछ समय बाद भी महिला ने अपने अफसर पति पर सहकर्मी के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाती रही. इसी बात पर दोनों के बीच आए दिन विवाद होता था.
क्या है तलाक की वजह?
पत्नी अपने पति पर सहकर्मी के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए बार-बार पति के ऑफिस पहुंचकर दुर्व्यवहार, हंगामा और बेईज्जती करती थी. इस वजह से पति ने फैमिली कोर्ट में अर्जी लगा कर तलाक ले लिया था. इसके अलावा प्रदेश के एक मंत्री से पति के अनैतिक संबंध के आधार पर परिवार बचाने हेतु पति का ट्रांसफर करने की भी अर्जी लगाई थी. इन सब बातों से परेशान होकर इंजीनियर पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई और फैमिली कोर्ट में तलाक मंजूर कर लिया.
कोर्ट ने क्या कहा
तलाक के खिलाफ पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अनैतिक संबंध के आधार पर पति के स्थानांतरण का दावा और उस पर अनैतिक संबंध होने का आरोप, इसके साथ ही कार्यालय में जाकर हंगामा करना पत्नी की क्रूरता साबित करता है. इस मामले में फैमिली कोर्ट के तलाक मंजूरी के फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखते हुए पत्नी की याचिका खारिज कर दी.