‘केरल मॉडल’ से गहलोत का चलेगा जादू? चुनाव से पहले दे सकते हैं ‘राशन और पेंशन’ जैसे तोहफे
जयपुर
एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा… राजस्थान में लंबे समय से हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन का रिवाज रहा है। इस साल के अंत में एक बार फिर यहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और जादूगर कहे जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पूरी कोशिश होगी कि एक फिर उनका जादू चल जाए। लगातार दूसरी बार सत्ता पाने के लिए गहलोत 10 फरवरी को पेश होने जा रहे बजट में कुछ खास ऐलान कर सकते हैं। खुद अशोक गहलोत ने संकेत दिए हैं कि वह 'केरल मॉडल' पर सामाजिक सुरक्षा वाली योजनाओं का ऐलान कर सकते हैं। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए गहलोत ने पिछले सप्ताह कहा कि केरल में सीपीएम की सरकार अच्छे कोविड प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की वजह से बनी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी बेहतर कोविड प्रबंधन की वजह से सरकार दोबारा बनेगी।
केरल में वामदल की सरकार ने कोरोना के दौरान हर परिवार के लिए 'राशन किट योजना'की शुरुआत की थी। राज्य में यह योजना बेहद लोकप्रिय हुई, खासकर महिलाओं को इस योजना ने बहुत प्रभावित किया। पीडीएस दुकानों के जरिए हर महीने हर परिवार को दैनिक उपभोग की सामग्री जैसे आटा, चावल, तेल, दाल और मसाले बांटे गए। संकट के समय में लोगों को इससे काफी राहत मिली। कहा जाता है कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार को दोबारा सत्ता मिलने में इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जबकि यहां भी हर पांच साल में सरकार बदलने का चल रहा है।
बताया जा रहा है कि गहलोत सरकार भी इस तरह की योजना का ऐलान कर सकती है, जिसके गेमचेंजर होने की उम्मीद की जा रही है। अलवर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गहलोत ने कहा था कि वह महंगाई और बेरोजगारी से लोगों की बढ़ीं मुश्किलों को कम करने के लिए कुछ तरीके निकालेंगे। मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा कानूनों की वकालत करते रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार मौजूदा पेंशन योजना में राशि बढ़ाने के साथ किसानों के लिए वृद्धा पेंशन का ऐलान भी कर सकती है। चुनाव से पहले आखिरी बजट को गहलोत सरकार खूब प्रचारित करने की तैयारी में जुट गई है। 10 फरवरी को आ रहे बजट को 'बचत, राहत और बादत' टैग से प्रचारित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि उनका यह बजट युवाओं और विद्यार्थियों के लिए होगा।
चुनाव से पहले आखिरी बजट में गहलोत हर वर्ग को खुश करने की कोशिश कर सकते हैं। विशेष ध्यान महिलाओं, किसानों और युवाओं पर हो सकता है। मुख्यमंत्री के लिए जनता को लुभाने के लिए यह आखिरी मौका होगा। 2018 से ही उन्हें पार्टी नेता सचिन पायलट से मिल रही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।