निगम ने स्ट्रीट लाइट के maintenanceपर खर्च किये 4.52 करोड़ रुपये, आधे शहर में बत्ती गुल
भोपाल
राजधानी में नगर निगम इस समय लाइटों के मामले में दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ बिजली विभाग ने उस पर 60 करोड़ के बकाये का तकादा अलग अंदाज में लगाया है और वह पैसा जमा नहीं करने पर समय समय पर निगम के वार्ड कार्यालयों से लेकर माता मंदिर मुख्यालय तक की बत्ती गुल कर रहा है । दूसरी तरफ उसके बिजली विभाग के अधिकारी भी उसको चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालत यह है कि शहर की अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बंद रहती हैं और कई जगहों पर दिन में यह जलती रहती है और रात में बंद। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों को असर तक नहीं पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि निगम स्ट्रीट लाइट के खर्चे में कोई कटौती कर रहा है, बल्कि पांच वर्ष में 4.52 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। यह राशि रख-रखाव के नाम पर खर्च की गई है।
जो दावा किया वो कागजों से बाहर नहीं निकला
पिछले दिनों स्मार्ट सिटी द्वारा कंट्रोल एंड कमांड सेंटर विकसित करने का दावा किया गया था। जिससे शहर की स्ट्रीट लाइट जोड़ने की बात की गई थी। लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो सका है। यह काम लगभग साढ़े सात सौ करोड़ रुपये से किया जाना था। तब एक ही केंद्र से पूरे शहर की स्ट्रीट लाइन चालू व बंद करने की बात कही गई थी। लेकिन यह योजना भी वास्तविकता के धरातल पर कामयाब नहीं हो पायी। निगम का खजाना इस समय पूरी तरह से खाली पड़ा है। उसको अमृत-2 से आने वाले पैसों की ही अब उम्मीद है दूसरी तरफ बिजली के लिये हाल ही ंसात करोड़ रुपये बिल भरा जा रहा है।
45 हजार स्ट्रीट लाइट 15% रहती है बंद
शहर में 45 हजार स्ट्रीट लाइट है, इनमें से 15 प्रतिशत बंद रहती हैं, जो खराब है या फिर इन्हें चालू ही नहीं किया जाता है। एक ही क्षेत्र में इस तरह की समस्या रोज नहीं रहती, बल्कि एक दिन एक क्षेत्र की स्ट्रीट लाइटें बंद रहती हैं तो दूसरे दिन किसी दूसरे क्षेत्र में अंधेरा रहता है। असल में इन लाइटों को चालू करने का जिम्मा कर्मचारियों का होता है जो समय पर नहीं आते या फिर बिना बताए गायब रहते हैं। ये जब तक गायब रहते हैं तब तक संबंधित क्षेत्र की स्ट्रीट लाइटें भी बंद रहती हंै।