रूस ने भारत के सामने पाकिस्तान को बताया बौना, राजदूत ने कहा- कुर्बान करने को तैयार
नई दिल्ली
रूस ने फिर एकबार साबित कर दिया है कि भारत उसका सच्चा दोस्त है। इसके लिए पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का गला घोटने के लिए भी वह सदैव तैयार है। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बुधवार को कहा कि व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने भारत के साथ अपनी दोस्ती को अटूट बनाने के लिए पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों का गला घोंट दिया। उन्होंने यह भी कहा है कि रूस कभी भी भारत को नुकसान पहुंचाने का कोई भी काम नहीं करेगा। आपको बता दें कि इससे पहले रूस के मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि उनका देश पाकिस्तान का साथ नियमित सैन्य संपर्क बनाए रखेगा। वहीं, बीते 30 जनवरी को पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने रूस के साथ पाकिस्तान के रक्षा और व्यापार सहयोग को बढ़ाने के लिए मास्को का दौरा किया था। हालांकि, अब रूसी राजदूत ने बयान देकर सभी अटकलों को खारिज कर दिया है।
वहीं, आपको यह भी बता दें कि रूस के साथ भारत को दोस्ती अमेरिका को खटकती रहती है। हालांकि, अमेरिका ने भी यह साफ कर दिया है कि भारत अगर रूस से तेल खरीदना जारी रखता है तो उसे कोई दिक्कत नहीं है। अमेरिका के यूरोपीय और यूरेशियाई राज्यों के मामलों की अतिरिक्त सचिव कैरेन डॉनफ्राइड ने बुधवार को कहा कि भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका को आपत्ति नहीं है और हम नई दिल्ली पर इसे लेकर कोई प्रतिबंध लगाने के विचार में नहीं हैं।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस सदी के अंत तक रूस का तेल और गैस भंडार आधा रह जाएगा। हम नहीं मानते कि प्रतिबंध लगाने की नीति सार्वभौमिक तौर पर सराही जाएगी। हम भारत के कदमों से संतुष्ट हैं। हमने रूस के बजट में गिरावट का परिणाम पहले ही देख लिया है।
इस बीच ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रमुख ने कहा है कि मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों का भारत और रूस के बीच रक्षा साझेदारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विश्वास से ही यह साझेदारी काम करती है। रूस की आधिकारिक न्यूज एजेंसी तास को भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम के एमडी एवं सीईओ अतुल दिनकर राणे ने बताया कि पश्चिम के प्रयासों से रूस-भारत के बीच रक्षा साझेदारी और कंपनी के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
दरअसल फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने के कारण अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में भारत और रूस के बीच ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संयुक्त उपक्रम वाली परमाणु क्षमता वाली सुपरसोनिक मिसाइल के सौदे पर संकट के बादल छाने की आशंका व्यक्त की गई थी।