भरथरी गायन ने मुझे विदेश जाने का अवसर दिया : रेखा जलक्षत्री
राजिम
राजिम माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन छत्तीसगढ़ की जानी-मानी प्रसिद्ध लोक गायिका रेखादेवी जलक्षत्री ने भरथरी की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के बाद मीडिया सेंटर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए अपनी आपबीती बताई। उन्होंने कहा कि भरथरी की प्रस्तुति के लिए विदेश जाने की जानकारी अधिकारियों द्वारा मिली। ये सुनकर मुझे डर लगने लगा कि हवाई जहाज में चढ़कर कैसे जाऊंगी? उत्सुकता तो थी, परंतु डर भी लग रही थी। संजय गांधी के प्लेन क्रैश की बात सुनी थी जैसे तैसे जाने का दिन भी आ गया। विभागीय गाड़ी ने एयरपोर्ट तक पहुंचा दिया गया। मैं साहब से डर के मारे कह रही थी मै नहीं जाऊंगी, मुझे डर लग रहा है। इतने पर मुझे तेज आवाज में कहा रेखा चलो प्लने में बैठना है। डर लगेगा तो आंख बंद कर लेना। आज भी हवाई जहाज के पहली यात्रा को याद कर रोमांचित हो जाती हूं।
उन्होंने आगे बताया कि मेरे दादा मेहत्तर प्रसाद पंडवानी, रामायण, महाभारत इत्यादि प्रस्तुत करते थे, उन्हीं से मुझे यह कला मिली। वह भरथरी गाने के लिए प्रेरित करते थे, वह मेरे गुरू है। मेरे दो भाई कृष्ण और बलराम की अकेली बहन हूं। भाईयों का प्यार मुझे कला के क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया। 10 साल की उम्र में पहली बार मंच में प्रस्तुति दी। उसके बाद तो करवां ही चल पड़ा। विदेश यात्रा में पहली बार जर्मनी गई। 13 दिनों तक रहने का सौभाग्य मिला। वहां का कल्चर हमारे देश से बिल्कुल भिन्न था। मास्को फिर जापान गई। अभी तक कुल तीन देश में कार्यक्रम की प्रस्तुति दी है। मैं अंगूठा छाप हूं, एक भी क्लॉस नहीं पढ़ी हूं, लगातार कार्यक्रमों में आने जाने के कारण हिन्दी भी बोल लेती हूं और अब तो आम बोलचाल की भाषा अंग्रेजी समझ में आ जाती है। श्रीमती जलक्षत्री ने आगे कहा कि राजिम माघी पुन्नी मेला का मंच राष्ट्र को समर्पित है। प्रस्तुति देकर मैं गदगद हो गई हूं। वह कहती है कि प्रदेश सरकार को भरथरी गायन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। राजा भरथरी की जीवन गाथा इसमें उभर कर सामने आती है। इससे आत्मविश्वास बढ़ते है। लोक कथा निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करती है। मैं खुद सात लोगों को भरथरी गायन की प्रशिक्षण दे रही थी। उन्होंने कहा कि नये कलाकार मेहनत करें आगे बढने का मार्ग जरूर खुलेगा।