इतिहास में पहली बार: परमाणु और जैविक युद्ध के खिलाफ भारत-अमेरिका का युद्धाभ्यास, जानिए क्या है तरकश?
यूक्रेन
यूक्रेन में पिछले एक साल से चल रहे युद्ध के बीच कई बार परमाणु युद्ध होने या फिर जैविक या रासायनिक युद्ध शुरू होने की आशंका जताई गई है और दुनिया का जियोपॉलिटिक्स जिस तरह से बदल रहा है, उसे देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है, कि कभी भी कहीं भी इस तरह के युद्ध हो सकते हैं। लिहाजा, रासायनिक और जैविक युद्ध को दुनिया के लिए एक उभरते खतरे के रूप में पहचान करते हुए भारत और अमेरिका ने संयुक्त सैन्य अभ्यास में इन खतरों से निपटने का अभ्यास शुरू किया है।
भारत और अमेरिकी सैनिक लगातार संयुक्त युद्धाभ्यास कर रहे हैं और इस संयुक्त अभ्यास में पहली बार "रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) और टेरर रिस्पॉंस" को शामिल किया गया है। इस युद्धाभ्यास का नाम तरकश है, जिसका आयोजन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और यूएस स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स (SOF) ने साफ मिलकर चेन्नई में किया है। यह अभ्यास का छठा संस्करण है, जो 16 जनवरी से शुरू हुआ है और 14 फरवरी को समाप्त होगा। भारत और अमेरिका के स्पेशल फोर्सेस के बीच इस अभ्यास की प्लानिंग उस वक्त तैयार की गई, जब पिछले साल मई में रूस ने आरोप लगाया था, कि रूस को फंसाने के लिए और पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए यूक्रेन अपने ही लोगों पर खार्किव में रासायनिक हथियार का इस्तेमाल करने वाला है।
सूत्रों ने कहा है, कि चेन्नई में चल रहे अभ्यास के दौरान किए गए विभिन्न आतंकवाद विरोधी अभ्यासों में आतंकवादियों द्वारा रासायनिक और जैविक हमलों का मुकाबला करने के लिए भी एक अभ्यास को शामिल किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है, कि "संयुक्त अभ्यास में पहली बार, रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN), टेरर रिस्पांस को भी इसमें शामिल किया गया था। मॉक वेलिडेशन अभ्यास के दौरान, एक थीम तैयार किया गया था, जिसमें रासायनिक एजेंटों से लैस एक आतंकवादी संगठन ने एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान एक कन्वेंशन हॉल पर हमला करने की धमकी दी थी। जिसके बाद एनएसजी और यूएस (एसओएफ) टीमों ने संयुक्त टीम बनाकर इस आतंकवादी धमकी को बेअसर करने के साथ साथ बंधकों को सुरक्षित बचाया और आतंकियों के रासायनिक हथियार को भी निष्क्रीय किया।"
सूत्रों ने कहा, कि इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स भी शामिल हुए, जिन्होंने छोटी टीम बनाकर टारगेट एरिया में एक बड़े ऑडिटोरियम में प्रवेश किया और फिर बंधकों को छुड़ाने में अहम जिम्मेदारी निभाई, वहीं रासायनिक एजेंट हथियार को बेअसर करना भी भारतीय वायुसेना के युद्धाभ्यास में शामिल था। सूत्रों ने बताया, कि " इस ट्रेनिंग ने दोनों ही देशों के सैनिकों को किसी भी आतंकवादी हमलों के दौरान प्रभावी तरीके से निपटने, रासायनिक एजेंट्स के खिलाफ फौरन एक्शन लेने की क्षमता प्रदान की है"। इस युद्धाभ्यास के दौरान अमेरिकी विशेष बलों और एनएसजी के रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु युद्ध में विषय विशेषज्ञों ने शहरी आतंकवाद विरोधी माहौल के दौरान सीबीआरएन खतरे से निपटने में काफी जरूरी ट्रेनिंग दी"। एनएसजी के महानिदेशक एमए गणपति ने कहा, कि "एनएसजी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भविष्य के खतरों की जानकारी होनी चाहिए और इसने सीबीआरएन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विशिष्ट क्षमताओं का विकास किया है।"
NSG अधिकारी ने कहा, कि "दोनों बलों के बीच संयुक्त अभ्यास में शहरी वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर सर्वोत्तम प्रथाओं और रणनीति को साझा किया गया है, जिसमें करीबी लड़ाई, बिल्डिंग इंटरवेंसन ड्रिल्स, बंधकों को बचाने का अभियान, सर्विलांस, शामिल हैं"। सीबीआरएन हथियार, जिन्हें सामूहिक विनाश के हथियारों के रूप में भी क्लासिफाइड किया गया है, और हमेशा से आतंकवादियों द्वारा इनके इस्तेमाल का खतरा बना रहता है। अतीत में भी इसका इस्तेमाल किया जा चुका है, जब सीबीआरएन हमले के तौर पर सरीन गैस हमला 2017 में सीरिया में किया गया था, जिसकी वजह से 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।