दिल्ली लौटे लालू यादव, नीतीश कुमार ने भी की बात; क्या अब बिहार में होगा खेला?
नई दिल्ली
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव शनिवार को सिंगापुर से भारत लौट आए हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर उनकी फ्लाइट 7.20 मिनट पर पहुंची। दिल्ली एयरपोर्ट से वे बड़ी बेटी सांसद डॉ. मीसा भारती के आवास पर गए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी फोन पर उनसे बात की और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। लालू यादव की वतन वापसी कई मायनों में खास है। उनकी गैरमौजूदगी में महागठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों आरजेडी और जेडीयू के रिश्तों में खटास देखने को मिली है। दोनों तरफ से खूब बयानबाजी हुई। दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने इसे अपना-अपना मौन समर्थन दिया। इसके अलावा महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं। यही वजह है कि खरमास के बाद होने वाला कैबिनेट विस्तार को अब तक अंतिम विस्तार नहीं दिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी कैबिनेट में कांग्रेस को और अधिक तरजीह देने के मूड में नहीं है। वहीं, नीतीश कुमार साफ कह चुके हैं कि कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को कैबिनेट विस्तार में शपथ दिलाई जाएगी। फिलहाल बिहार में कांग्रेस कोटे से दो मंत्री हैं। महागठबंधन के घटक दलों के संबंधों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी भूचाल आने वाला है और वह सिर्फ लालू यादव के पटना लौटने का इंतजार कर रहा है।
RJD लगातार कर रही तेजस्वी को CM बनाने की मांग
नीतीश कुमार घोषणा कर चुके हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन डिप्टी सीएम तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेगा। नीतीश यह कहकर आरजेडी की उस बेचैनी को शांत करना चाहते थे कि आखिर तेजस्वी सीएम कब बनेंगे। पर आरजेडी की बेचैनी इससे शांत नहीं हुई है। गोपलागंज और कुढ़नी के उपचुनाव में महागठबंधन की हार से यह बढ़ ही गई है। आरजेडी के बड़े तबके को लगने लगा है कि नीतीश के पास वोट ट्रांसफर करने की हैसियत अब बची नहीं है। ऐसा मानने वालों को लगता है कि 2025 तक इंतजार के बजाय अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही सीएम की कुर्सी पर तेजस्वी काबिज हो जाएं।
आरजेडी से हुई थी नीतीश कुमार की डील?
इसकी बानगी पिछले साल जगदानंद सिंह के उस बयान से भी मिलती है जो कि कहते हैं कि देश नीतीश कुमार का इंतजार कर रहा है और बिहार तेजस्वी यादव का इंतजार कर रहा है। उन्होंने यह तक कहा है कि तेजस्वी 2023 में ही सीएम बन जाएंगे। अब सारा फसाद 23 और 25 के बीच में ही है। लॉजिक से भी देखें तो नीतीश को अगले साल तथाकथित देश बचाने की मुहिम पर निकलना है तो इसी साल तेजस्वी को सीएम की कुर्सी ट्रांसफर हो जानी चाहिए। आरजेडी के लोग इसके लिए बार-बार डील की याद भी दिला रहे हैं और दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा इसी तथाकथित डील को लेकर नीतीश से सवाल भी पूछ रहे हैं। हालांकि, डील क्या है ये सार्वजिनक रूप से कोई नहीं बता रहा है।
तेजस्वी को CM बनाने के लिए RJD का दूसरा फॉर्मूला
ऐसे में अब आरजेडी उस दिशा में बढ़ने लगी है कि तेजस्वी नीतीश के समर्थन से सीएम बने तो ठीक नहीं तो उसे उनके बिना भी अपने नेता को सीएम बनाने से गुरेज नहीं है। इस दिशा में पर्दे के पीछे खेल भी शुरू हो चुका है। तेज प्रताप यादव और मनोज झा ने बीजेपी एक नेता से रविवार को मुलाकात की है तो ये तो साफ है कि खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है, लेकिन ये तैयार तब होगी जब लालू इसे ग्रीन सिग्नल देंगे।
बीजेपी देगी आरजेडी का साथ?
आप सोच सकते हैं कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी क्या रोल अदा करेगी? तो इसका जवाब है कि आरजेडी के पास जेडीयू के बिना 116 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। बिहार में आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, भाकपा माले के 12, सीपीआई के 4, एआईएमआईएम के एक और एक निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे में जेडीयू के बिना तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मात्र 7 विधायकों की जरूरत होगी। दूसरी जिस चीज की जरूरती होगी वह है कि गवर्नर मौन सहमति दे दें और यहीं उसे केंद्र यानी बीजेपी के समर्थन की जरूरत होगी और जाहिर है यह पर्दे के पीछे से होगा।
अब सवाल उठता है कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने में बीजेपी क्यों मदद करेगी। इसका जवाब यह है कि बीजेपी को नीतीश से पुराना हिसाब चुकता करना है। उन्हें बेआबरू करके पदच्युत करने से बीजेपी के कुछ नेताओं के कलेजे को ठंडक मिलेगी। दूसरा पॉइंट यह है कि जेडीयू में टूट से अगर तेजस्वी की सरकार बनती है तो लंबे समय में नीतीश और उनकी पार्टी बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएगी। ये स्थिति बीजेपी और आरजेडी दोनों के लिए मुफीद होगी, क्योंकि दोनों को बाइपोलर चुनाव सूट करता है।
दिल्ली में लालू से मिलेंगे तेजस्वी
शनिवार शाम लालू प्रसाद अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती के साथ सिंगापुर से 76 दिनों बाद भारत लौटे। फिलहाल लालू प्रसाद स्वास्थ्य कारणों से चिकित्सकीय देखरेख में मीसा के दिल्ली स्थित आवास पर ही रहेंगे। लालू यादव 26 नवंबर, 2022 को किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए सिंगापुर गए थे। करीब ढाई महीने वे सिंगापुर में रहे। उनकी पुत्री रोहिणी आचार्य ने अपनी एक किडनी उन्हें दी। दिल्ली में लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पहले से ही मौजूद हैं।