November 15, 2024

मोहब्‍बत की सजा? शालू से बनी सायरा, मिली चार साल तक अंधेरे कमरे में रखा कैद

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मेरठ
पिछले चार साल से अंधेरे कमरे की चारदीवारी में कैद और सूरज की रोशनी तक देखने के लिए मोहताज शालू ने मोहब्बत की ऐसी सजा पाई जिसे सुनकर कलेजा कांप उठे। मिस्ड कॉल से शुरू हुए प्यार में ऐसा फरेब हुआ कि उसे शालू से सायरा बना दिया गया। जिसके लिए शालू अपना घर छोड़कर कर चली आई उसने उसे अंधेरे और वीराने में पहुंचा दिया। रह गईं तो बस चारदीवारी, बेबसी और घुटन। चार साल बाद किसी तरह उसकी हालत के बारे में पता चला तो पुलिस ने मकान का ताला तोड़कर उसकी बेबसी को अंधेरी दुनिया से बाहर निकाला। चार साल बाद अब उसने खुली हवा में सांस ली है।

यह दास्तां है दौराला गांव निवासी शालू नामक युवती की जो पिछले चार साल से अंधरे कमरे को ही अपनी जिंदगी मान चुकी थी। चार दिन पहले ही उसने एक बच्चे को जन्म दिया है। पुलिस पूछताछ में युवती ने बताया कि वह खतौली के भंगेला गांव की रहने वाली है। पांच साल पहले उसके मोबाइल पर एक मिस्ड कॉल आई। मिस्ड कॉल करने वाले महबूब नामक अधेड़ से वह मोहब्बत कर बैठी और चार साल पहले वह अपना घर छोड़कर उसके साथ दौराला आ गई। शालू ने बताया कि महबूब पहले से शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। जब महबूब ने उसके साथ निकाह किया तो उसकी पहली पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई। इस दौरान उसका नाम शालू से सायरा रख दिया गया। शालू ने बताया कि महबूब मेरठ में दर्जी का काम करता है। पिछले चार साल से जब भी वह काम पर जाता तो घर में ताला लगाकर शालू को कैद करके जाता।

पिछले चार साल तक अंधेरे कमरे में उसकी जिंदगी बीत रही थी। मंगलवार को किसी तरह विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं को उसके बारे में पता चला तो पुलिस के साथ उसके घर पहुंचे। ताला तोड़कर उसे चार दिन के नवजात के साथ बंधन मुक्त कराया गया।

शालू के घरवाले चौकी पहुंचे
पुलिस ने युवती को थाने लाने के बाद उसके परिजनों से खतौली के भंगेला गांव में संपर्क किया। देर शाम परिजन भंगेला पहुंचे और आरोपी महबूब के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम जुटी हुई है।

 

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