दोस्तों संग वीकेंड इंजॉय करने के लिए खास है जहानाबाद, ये हैं टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस
बिहार
बिहार के प्राचीन शहरों में से एक जहानाबाद है। पटना से इसकी दूरी करीब 50 किलोमीटर है। जहानाबाद की मुख्य नदी दरधा है। ये जिले के बीचों-बीच बहती है। 1986 से पहले ये जिला गया का हिस्सा हुआ करता था। बिहार के प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस में एक जहानाबाद भी है। यहां वीकेंड पर दोस्त या परिवार के साथ समय बिताने के लिए बेहतरीन है। अगर आप पटना या गया घूमने आने की सोच रहे हैं तो जहानाबाद भी एक ऑप्शन हो सकता है। यहां कई टूरिस्ट स्पॉट हैं।
विष्णु मंदिर काको
जहानाबाद के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक विष्णु मंदिर है। यहां भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के किनारे एक विशाल सरोवर है। छठ पूजा के दौरान इस सरोवर पर हजारों महिलाएं भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं। स्थानीय लोगों का मानना है क काको पनिहास के कट पर छठ व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर
जहानाबाद के प्रमुख शिव मंदिर मखदुमपुर प्रखंड में स्थित है। यहां जाने के लिए ऊंचे पहाड़ पर चढ़ाना पड़ता है। 3 से 4 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद ही श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ा पाते हैं। सावन और शिवरात्रि के समय इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता हैं। मंदिर में कई अन्य प्राचीन प्रतिमाएं भी देखने को मिल जाती हैं।
बराबर की गुफाएं
जहानाबाद मुख्यालय से 25 किलोमीटर और गया प्रमंडल से 30 किलोमीटर की दूरी पर बरापर पर्वत श्रृंखला है। इसी पहाड़ी की चोटी पर सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर है। यहां सम्राट अशोक के समय के शिलालेख आज भी देखने को मिल जाता है। यहां चट्टानों को काटकर चार गुफाएं कर्ज, चौपाड़, विश्व झोपड़ी और कर्ण बनवाया था।
हजरत बीबी कमाल की मजार
जहानाबाद के सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बीबी कमाल की मजरा पर हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग सिर झुकाते हैं। लोगों के मुताबिक साल 1174 में बीबी कमाल अपनी बेटी दौलती बीबी के साथ काको आई थी। तब से वह यहीं रह गईं। उन्हें पहली महिला सूफी संत होने का गौरव भी हासिल है। ऐसा माना जाता है कि बीबी कमाल की दरगाह पर इबादत करने से मनोकामना पूरी होती है।
बाबा कोटेश्वर नाथ धाम
गया और जहानाबाद की सीमा पर स्थित बाबा कोटेश्वर नाथ धाम खास है। सावन महीने में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। इस धाम का गर्भ गृह लाल पत्थर के टुकड़े से बनी हैं। मंदिर की डिजाइन दक्षिण भारतीय शैली में बना हुई है।