MP News: प्रदेशभर के डाक्टरों ने की सांकेतिक हड़ताल
भोपाल
मध्य प्रदेश में आज डॉक्टरों ने 2 घंटे काम बंद कर हड़ताल की। शासकीय डॉक्टरों के 7 संगठनों द्वारा राज्य सरकारी स्वशासी चिकित्सा महासंघ के बैनर ये हड़ताल की गई। इस दौरान कई स्थानों पर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सरकार द्वारा मांगे नहीं मानी जाने पर 17 फरवरी से इन्होने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।
ये हैं मांगें
मध्यप्रदेश शासकीय/स्वशासी चिकित्सक महासंघ की मांगों में डॉक्टरों को काम करने के लिए उचित वातावरण मिले और प्रशासनिक अधिकारियों की दखलअंदाजी रुके, उच्चतम पदों पर चिकित्सकीय संवर्ग के अधिकारियों की पदस्थापना हो, समस्त विभागों में कार्यरत चिकित्सकों के लिए डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोगेशन DACP के आदेश जारी हो, सभी चिकित्सकीय संवर्ग के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करें, डॉक्टरों की पदोन्नति प्रमुख रूप से शामिल है। इन्हीं मांगों को लेकर गुरूवार को प्रदेशभर के 49 जिला अस्पताल, 13 मेडिकल कॉलेज और भोपाल गैस राहत अस्पताल के डॉक्टरों ने सुबह 10 से 12 बजे तक दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल की। इसके अलावा वो हाथ पर काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। हड़ताल के दौरा ओपीडी, इनडोर, वार्ड राउंड इत्यादि तथा इमरजेंसी सेवाएं बाधित रही।
इतिहास में पहली बार मध्यप्रदेश के समस्त 10.000 शासकीय चिकित्सको ने चिकित्सक महासंघ की एकता की शक्ति को आत्मसात करते हुए शासन के समक्ष काली पट्टी बांध कर शक्ति प्रदर्शन किया।
प्रदेश के सभी जिलों के जिला अस्पताल सिविल अस्पताल और सीएचसी समेत सभी 13 मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने काला रिबन बांध कर (ओपीडी,ऑपरेशन ,और शैक्षणिक कार्य)शासन के समक्ष सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया
विशेषकर दूरस्थ क्षेत्र में स्थित अस्पतालों
( अंबाह, झाबुआ,अलीराजपुर खाचरोद,अमरपाटन आदि) में पदस्थ चिकित्सकों ने भी आज काला रिबन बांध कर ये पूर्णतः सिद्ध कर दिया की इस आंदोलन में अब सारे चिकित्सक कंधे से कंधा मिला कर साथ खड़े है ।
महासंघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में इस आंदोलन को पूर्व निर्धारित रूपरेखा अनुरूप अनवरत जारी रखने का संदेश दिया ।
निकाली थी संपर्क यात्रा
आज प्रदेशभर के करीब 10 हजार डॉक्टर्स दो घंटे की हड़ताल पर रहे और इन्होने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने की आशंका है। इससे पहले मध्य प्रदेश में शासकीय/स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर प्रदेशभर में ‘चिकित्सक संपर्क यात्रा’ निकाली गई थी। इस यात्रा की शुरूआत 27 जनवरी को ग्वालियर से हुई और गजराराजा मेडिकल कॉलेज से प्रारंभ होकर यात्रा मुरैना, अम्बाह, भिंड, दतिया, शिवपुरी, ओरछा, निवारी, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन, शाजापुर, देवास, इंदौर, ब्यावरा, विदिशा, सागर, दमोह, रायसेन होते हुए 7 फरवरी को भोपाल पहुंची थी। यात्रा प्रदेश के 38 जिलों के सीएचसी, पीएचसी,जिला अस्पतलों एवं 13 मेडिकल कॉलेजों से गुजरी और यहां इन्हे भारी समर्थन मिला। अब अपनी मांगों को लेकर इन्होने 17 फरवरी से बेमियादी हड़ताल की चेतावनी दी है।
शासकीय अस्पतालों में सुबह 10 से 12 बजे तक डाक्टरों ने सांकेतिक हड़ताल की। इन दौरान उन्होंने मरीजों को नहीं देखा। शहर के एमवाय अस्पताल में भी इसी तरह का नजारा था।
उन्होंने इस दौरान डाक्टरी छोड़कर शासन की सद्बुद्धि के लिए अस्पतालों के गेट पर हवन भी किया। दरअसल डाक्टर शासकीय अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने और मरीजों को अधिक सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं। उनका विरोध अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों के बढ़ते दखल को लेकर भी है।
डाक्टरों का कहना है कि एक डाक्टर जिस दक्षता से अस्पताल चला सकता है उतना एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं। अपनी मांगों को लेकर डाक्टरों ने पिछले दिनों प्रदेशभर में चिकित्सा बचाओ चिकित्सक बचाओ यात्रा भी निकाली थी। इस रैली का इंदौर में भी जोरदार स्वागत हुआ था।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एमटीए) मेडिकल कालेज से जुड़े डाक्टरों का संगठन डाक्टरों के समर्थन में उतर आया है। इधर शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ मप्र ने भी लोगों से अपील की है कि आंदोलन के दौरान प्रदेश की चिकित्सक सेवा बाधित हो सकती है और आम जन को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। महासंघ ने आमजन से अपील की है कि वे आंदोलन को नैतिक समर्थन दें और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सहयोग करें।