कांग्रेस का अधिवेशन छत्तीसगढ़ में होना राज्य के लिये गौरव का विषय- मोहन मरकाम
कामयाब हुई।यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस भारत के जनमानस की आईना थी।सारा भारत कांग्रेस के साथ था सिर्फ साम्प्रदायिक जातिवादी और अंग्रेजो के प्रति श्रद्धा रखने वाले दल जरूर कांग्रेस के खिलाफ थे।
आजादी के बाद छोटे बड़े रजवाड़ो रियासतों को समाहित कर लोकतांत्रिक भारत के निर्माण के साथ समानता वाले भारत का निर्माण, सबको समान आर्थिक अवसर के साथ सामाजिक और लैंगिक समानता का सुनिश्चित करना बहुत बड़ी चुनौती थी थी। आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को जानते थे यह सारे लक्ष्य तभी फलीभूत हो सकते है जब भारत आर्थिक रूप से सुदृढ और सुक्षित और स्वस्थ हो। इसीलिये नेहरू जी ने सिचाई परियोजनाओं के साथ बड़े कल कारखानो की नींव साथ मे रखी।नेहरू जी विज्ञान और संस्कृति के सामंजस्य वाले भारत की कल्पना की थी।यही कारण था कि उन्होंने देश मे आईआईएम ,आईआईटी,जैसे अभियांत्रिकी प्रबन्ध संस्थानों से ले कर बेहतरीन चिकित्सा संस्थान अखिल भरतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की। पंडित नेहरू के बाद की कांग्रेस सरकारों उनके द्वारा स्थापित इस मजबूत नीव पर आधुनिक भारत की शानदार इमारत की स्थापना पर कोई कसर नही छोड़ी।
देश की सामयिक जरूरत के अनुसार कांग्रेस ने समय समय पर प्रथमिकता को बदल कर योजनाओं को बनाया आजादी के पहले स्वतंत्रता आंदोलन आजादी के बाद गणतंत्र का निर्माण संविधान निर्माण प्रथमिकता में थे नेहरू जी के बाद शास्त्री जी के समय अनाज देश की सुरक्षा को लक्ष्य रख कर जय जवान जय किसान का नारा दिया गया। इंदिरा जी हरित क्रांति बीस सूत्री कार्यक्रम ,अंतरिक्ष कार्यक्रम,परमाणु कार्यक्रम से सुदृढ भारत के लक्ष्य को प्राथमिकता में रखा । राजीव गांधी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तब देश को 21 वी सदी की ओर ले जाने के लिए कांग्रेस की प्राथमिकता में सूचना प्रोद्योगीकी और कम्प्यूटर क्रांति थी पंचायतों को सशक्तीकरण कर सत्ता के विकेंद्रीकरण का मार्ग भी खोला गया। पीवी नरसिंहराव जी के समय आर्थिक उदारीकरण को अपना कर वैश्विक व्यापारिक जगत में भारत को मजबूती से खड़ा करने का प्रयास किया गया। यूपीए चेयर पर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के मार्गदर्शन तथा मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों के साथ खाद्य सुरक्षा कानून, सूचना के अधिकार, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी, शिक्षा का अधिकार, भू-अधिग्रहण जैसे कानूनों को लाकर कांग्रेस ने आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया।
2014 में केंद्र की सत्ता हाथ से जाने के बाद कांग्रेस एक सजग विपक्ष की भूमिका निभा रही है। बहुमत के अतिवादी चरित्र का विरोध जिस बेबाकी और निडरता से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, खड़गे जी कर रहे है वह कांग्रेस के उन्ही मूल्यों उपज है जिन मूल्यों को लेकर कांग्रेस ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक आंदोलन और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रवादी आंदोलन भारत की आजादी की लड़ाई को लड़ा था। लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना कर तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अनुभवी शख्स को पार्टी के निचले पायदान ब्लॉक अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना कांग्रेस जैसे दल में संभव है।