हाई कोर्ट के खिलाफ वकील हुए एकजुट, अब करेंगे विरोध
इंदौर
हाई कोर्ट से जारी एक आदेश ने जिला न्यायालय में वकालत करने वाले वकीलों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। वकील इसका विरोध कर रहे हैं। आदेश में सभी न्यायालयों से तीन माह में 25 चिन्हित प्रकरणों का निराकरण अनिवार्य रूप से करने को कहा गया है। वकीलों का कहना है कि यह आदेश अव्यवहारिक है।
न्यायालय चिन्हित प्रकरणों के निराकरण में लगे रहते हैं और नियमित कामकाज प्रभावित हो रहा है। वकीलों का यह भी कहना है कि किसी मामले का निराकरण समय सीमा में बंधकर नहीं किया जा सकता। इससे न्याय प्रक्रिया दूषित होने की आशंका रहती है। इंदौर अभिभाषक संघ भी वकीलों के पक्ष में मैदान में उतर आया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि वे इस मुद्दे को राज्य अधिवक्ता परिषद के साथ मिलकर मुख्य न्यायाधिपति के सामने रखेंगे।
यह है आदेश में
उच्च न्यायालय ने न्यायालयों को आदेश दिया है कि वे 25 प्रकरण चिन्हित करें और उनका निराकरण तीन माह में किया जाए। तीन माह की अवधि में इन प्रकरणों में से जिनका निराकरण नहीं हो पाएगा उन प्रकरणों को अगली तिमाही में शिफ्ट किया जाएगा लेकिन अगली तिमाही में इन प्रकरणों का निराकरण अनिवार्य रूप से करना होगा। इन्हें अगली तिमाही में शिफ्ट नहीं किया जा सकेगा।
वकील पक्षकार को न्याय नहीं दिलवा पा रहे
25 चिन्हित प्रकरणों का निराकरण अनिवार्य रूप से करने के आदेश से वकीलों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वकील पक्षकार की बात न्यायालय के समक्ष रखकर उन्हें न्याय नहीं दिलवा पा रहे हैं। उच्च न्यायालय को इस समस्या का समाधान करना चाहिए ताकि पक्षकार के साथ अन्याय न हो। अपील के निराकरण में भी कई वर्ष लग जाते हैं। अगर किसी के साथ एक बार अन्याय हो गया तो उसे न्याय मिलने में कई वर्ष लग जाएंगे।