प्रदेश के 13 हजार डॉक्टर हड़ताल पर,अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप
भोपाल
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल एजुकेशन विभाग दोनों के डॉक्टर्स एक साथ हड़ताल पर हैं। इससे पहले मेडिकल कॉलेज में जब हड़ताल होती थी तो स्वास्थ विभाग के डॉक्टर्स इसे संभाल लेते थे। मगर अपनी मांगे नहीं माने जाने को लेकर शुक्रवार को सुबह से ही मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेशभर के डॉक्टर हड़ताल में शामिल हैं। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सेकेटरी डॉ. अविनाश ठाकुर ने बताया कि प्रदेश भर में करीब 13 हजार से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसमें तहसील के करीब 300 पब्लिक हेल्थ सेंटरों के अलावा 600 गांवों के हेल्थ सेंटर्स के डॉक्टर शामिल हैं।
इसमें जूडा, राजपत्रित आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ, संविदा, गैस राहत, सीनियर रेसीडेंट एसो. आदि डॉक्टर्स भी शामिल हैं। अविनाश ठाकुर ने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी, ओपीडी, ऑपरेशन और पोस्टमार्टम सभी कुछ बंद है। सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि हेल्थ डिपार्टमेंट के सभी लोग काम कर रहे हैं, अगर फिर भी हड़ताल होती है तो हमारे पास बैकअप प्लान मौजूद है, सभी डॉक्टर्स कंसीडर कर रहे हैं।
जिले की समस्त शासकीय सेवाओं पर पड़ेगा असर। पदोन्नति समेत कई मांगों को लेकर सरकारी डाक्टर उग्र आंदोलन कर रहे हैं। चेतावनी के अनुसार शुक्रवार से जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के डाक्टर हड़ताल पर रहेंगे। गुरुवार को काली पट्टी बांधकर दो घंटे कार्य से विरत रहकर डाक्टरों ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी। सरकारी अस्पतालों में दो घंटे तक मरीज जिले भर के सरकारी अस्पतालों में शुक्रवार काे डाक्टर मरीजों की नब्ज नहीं टटोलेंगे। गुरुवार को दो घंटे के लिए काम बंद होने के कारण तमाम मरीज मलहम पट्टी के लिए तरसते रहे। एमपी जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा हृदयेश दीक्षित ने कहा कि जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश आपके साथ है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल में जूनियर डाक्टर तथा अन्य सरकारी अस्पतालों में इंटर्न डाक्टरों के भरोसे व्यवस्था रही। शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ मध्य प्रदेश के तत्वावधान में मेडिकल आफिसर्स एसोसिएशन व मेडिकल टीचर एसोसिएशन के बैनर तले डाक्टरों ने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की भीड़ लगी रही। आकस्मिक चिकित्सा केंद्रों में भी अव्यवस्था रही। मेडिकल कालेज, विक्टोरिया अस्पताल, एल्गिन अस्पताल समेत जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में यही हालात रहे। दो घंटे चले प्रदर्शन के बाद डाक्टरों ने मरीजों की नब्ज टटोली। इस बीच तमाम गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ा। चिकित्सा बचाओ चिकित्सक बचाओ आंदोलन के संबंध में डा. परवेज सिद्दीकी, डा. शामिक रजा, डा. एचएस मरकाम, डा. नीलम टोप्पो, डा. अवधेश सिंह, डा. मयंक चंसोरिया, डा. कुलदीप सिंह, डा. अनुराग साहनी, डा. लक्ष्मी सिंगोतिया, डा. मनीष मिश्रा, डा. पंकज ग्राेवर, डा. अमिता जैन ने बताया कि प्रदेश भर के सरकारी डाक्टर समय पर पदोन्नति के लाभ से वंचित हैं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री के साथ बातचीत, फिर भी नहीं बन सकी बात
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सेकेटरी डॉ. अविनाश ठाकुर ने बताया कि गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने हमें बुलाया था। उन्होंने महासंघ के सभी पदाधिकारियों से बात की और कहा कि हम एक कमेटी बना देते हैं। जिसको लेकर बात नहीं बन पाई। क्योंकि ऐसी कमेटी पांच साल पहले भी बनाई गई थी। इसके बाद महासंघ से शुक्रवार से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया। बता दें कि महासंघ 7 मेडिकल एसोसिएशन ने मिलकर बनाया है महासंघ जिसके बैनर तले ही ये आंदोलन हो रहा है। बता दें कि प्रदेशभर में सरकारी डॉक्टरों की संख्या 13 हजार से अधिक है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग बोले-आज भी चर्चा हुई
चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों से कल भी बात हुई थी। आज भी चर्चा हुई है। महासंघ की मांगों को लेकर हाईपावर कमेटी बना रहे हैं। उनपर वह कमेटी समय सीमा में विचार कर रिपोर्ट देगी। जो भी सुझाव महासंघ की ओर से आए हैं उनमें कई विभागों के डॉक्टरों की मांगें हैं। कमेटी में चिकित्सा महासंघ के तीन प्रतिनिधि भी इस कमेटी में शामिल रहेंगे। हमारी सरकार संवाद करने वाली सरकार है। कोरोना के समय में डॉक्टरों ने बहुत अच्छा काम किया था। मंत्री सारंग ने कहा कि मैं चिकित्सा महासंघ को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हड़ताल को खत्म करने का फैसला लिया है। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था में कहीं कोई दिक्कत नहीं आई है। सभी डॉक्टर काम कर रहे हैं। मरीजों का इलाज निरंतर जारी है।
भोपाल के इन अस्पतालों में दिखा असर
हमीदिया अस्पताल।
जय प्रकाश अस्पताल ।
काटजू अस्पताल।
अन्य गैस राहत अस्पताल।
तहसील और गांव के पीएचसी।
यह हैं मांगे
डीएसीपी लागू करना।
मेडीकल वर्क में अधिकारियों की दखलअंदाजी बंद करना।
पुरानी पेंशन बहाल करना।
महासंघ के गतिविधियों पर एक नजर
27 जनवरी को मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ की 'चिकित्सा बचाओ चिकित्सक बचाओ संपर्क यात्रा की शुरुआत की।
15 फरवरी को महासंघ ने काली पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध दर्ज किया।
17 फरवरी को महासंघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी।