ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है मुंगेर, ये हैं टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस
बिहार
बिहार के प्रमुख जिलों में से एक मुंगेर है। पटना से इस शहर की दूरी करीब 180 किलोमीटर है। गंगा नदी के किनारे बसा मुंगेर बेहद खास है। प्राचीन काल में ये शहर अंग देश का हिस्सा हुआ करता था। 18वीं शताब्दी में मीर कासिम ने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई थी। यहां कई धार्मिक और पर्यटक स्थल हैं। अगर आप भी बिहार घूमने का मन बना रहे हैं तो मुंगेर आपके लिए एक बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। आज की स्टोरी में हम आपको जिले की बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने आ सकते हैं।
मनपत्थर सीता चरण
अगर आपको मुंगेर में धार्मिक स्थलों पर जाना है। तो मनपत्थर सीता चरण जा सकते हैं। जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर नदी एक छोटा सा मंदिर स्थापित है। यहां पत्थरों के दो चरण हैं। ऐसा माना जाता है। कि ये चरण माता सीता के हैं।
खड़गपुर झील
अगर आप वीकेंड पर पिकनिक मनाने की सोच रहे हैं तो खरगपुर झील आपको पसंद आएगा। ये झील मुंगेर मुख्यालय से करीब 41 किलोमीटर दूर है। ये झील जमीन से करीब 200 फीट ऊचे पहाड़ों के बीचों बीच है। यहां का शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। खास बात ये है कि यहां बोट राइड और स्ट्रीट फूड भी मिल जाते हैं।
मीर कासिम का गुफा
अगर हम किसी गुफा के अंदर जाते हैं तो दूसरी तरफ से बाहर निकलने का भी रास्ता होता है। लेकिन मुंगेर में मीर कासिम द्वारा बनवाई गई गुफा आज भी रहस्यमयी बनी हुई है। इसकी वजह ये है कि इसका एक छोर तो है लेकिन दूसरे छोर का पता नहीं है। ये गुफा श्रीकृष्ण वाटिका के भीतर स्थित है। हालांकि उपेक्षाओं का शिकार हुई ये गुफा अब गंदगी से भरी रहता है। दीवारे जर्जर हो चुकी हैं।
मुंगेर का किला
इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए मुंगेर का किला पसंद आएगा। ये गंगा नदी के किनारे बना हुआ है। किले का प्रवेश द्वारा भव्य है। प्रवेश द्वार पर ही एक घड़ी देखने को मिल जाती है। 30 फीट मोटी दिवारों से घिरे किले में चारों तरफ से दरवाजें है। उत्तरी भाग के दरवाजे को लाल दरवाजा कहा जाता है। इस दरवाजे की नक्काशी हिंदू और बौद्ध शैली में है।
सीताकुंड
मुंगेर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक सीता कुंड हैं। यहां हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। सीता कुंड का जल हमेशा गर्म रहता है। इसके अलावा रामकुंड, लक्ष्मण कुंड, भरत कुंड और शत्रुघ्न कुंड भी है। यहां एक महीने तर चलने वाले माघ मेला भी आयोजन होता है।