September 24, 2024

हम अडानी के हैं कौन, कांग्रेस नेताओं ने सरकारी खजाने की खुली लूट पर जताई चिंता

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रायपुर

देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोजगारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने के लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। इसलिए हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते और आज हम अडानी के हैं कौन श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में पत्रकार वातार्एं ली जा रही हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भक्त चरणदास व पीसीसी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने संयुक्त पीसी में कहा कि सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी  और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतर्राष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं?

हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609 वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के खिलाफ नहीं है। लेकिन हम निसंदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खिलाफ  हैं क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक खास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के खिलाफ हैं। हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हिंडनबर्ग रिर्पोट और अडानी समूह की धोखाधड़ी पर केन्द्र सरकार श्वेत पत्र जारी करें। अडानी समूह की कंपनियों में देश की सबसे सरक्षित मानी जाने वाली निवेश कंपनिया एलआईसी और एसबीआई ने भी पैसा लगाया है। एलआईसी के 27 करोड़ पालिसी होल्डर तथा एसबीआई के 45 करोड़ खाता धारकों के विश्वास और हितों का सवाल है। यह भारत सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल है। मोदी सरकार अपनी समूह के इस घपलेबाजी की ईडी और सेबी से जांच कराये। जेपीसी जांच से केन्द्र क्यों डर रहा है?

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