महाकालेश्वर मंदिर: साल में एक बार दिन में क्यों होती है भस्म आरती, जानिए क्या है परंपरा
उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल को मंदिर में साल में एक बार परंपरा बदली जाती है। उज्जैन में बाबा महाकाल की भस्म आरती दिन में होती है। यह परंपरा महा महाशिवरात्रि के अगले दिन की जाती है। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सवा क्विंटल फूलों से बना मुकुट धारण कराया जाता है। बाबा को सवा मन फूलों-फलों का पुष्प मुकुट बांधकर सोने के कुण्डल, छत्र व मोरपंख, सोने के त्रिपुण्ड से सजाया जाता है। इसके बाद सेहरा दर्शन, पारणा दिवस मनाया जाता है।
उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का 9 दिन महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इन 9 दिनों में बाबा महाकाल के अलग-अलग रूपों में श्रद्धालु दर्शन करते हैं और अपने आप को धन्य मानते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर इस पर्व का समापन होता है। इस पर्व पर बाबा महाकाल लगातार 44 घंटे दर्शन देते हैं और हर दिन तड़के सुबह होने वाली भस्म आरती की परंपरा एक दिन बदल जाती है।
महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं द्वारा निरंतर जलाभिषेक किया जाता है। शनिवार रात 11 बजे बाबा महाकाल को जल चढ़ाना बंद किया गया। महाकाल के निरंतर जलाभिषेक के साथ ही रात 8 बजे से 10 बजे के बीच में कोटेश्वर महादेव के रूप में पूजन हुआ जिसके बाद 11 बजे से महापूजन की तैयारियां शुरू हुईं। पंचामृत से अभिषेक करने के बाद बाबा को गर्म जल से स्नान कराकर वस्त्र ओढ़ा रत्न जड़ित आभूषण पहनाए गए। जिसके बाद सुबह 4 बजे से बाबा को सेहरा चढ़ना शुरू हुआ, सुबह 6 बजे सेहरा आरती की गई।
साल में एक बार दिन में होती है भस्मारती
उज्जैन में महाकाल के आंगन में महाशिवरात्रि पर शिव विवाह की सभी रस्मों का आयोजन किया जाता है और पूर्ण होने के बाद भस्म आरती तड़के 4 बजे के बजाए दोपहर 12 बजे की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर में साल में एक ही बार यह परंपरा बदल जाती है। बीती रात महाकाल मंदिर में शिव विवाह उत्सव मनाया गया,जिसके बाद बाबा महाकाल को सुबह 4 बजे विशेष पूजन कर डेढ़ कुंटल फूलो का सेहरा बांधा गया। सेहरा दर्शन और सेहरा लूटने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है जो रविवार देर रात 11 बजे तक जारी रहेगी,सुबह 10 बजे से 2 बजे तक मध्यकालीन आरती के चलते आम श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक रहेगी।
महाशिवरात्रि के अगले दिन शिव विवाह का समापन किया जाता है। इस दिन बाबा महाकाल का सेहरा लुटाने के बाद दोपहर में मध्यकालीन भस्मारती की जाती है। इस भस्मारती की खास बात यह है कि यह आरती साल में सिर्फ एक दिन ही होती है। यह आरती दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक चलेगी। माना जाता है कि इस भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल साकार से निराकार रूप धारण करते हैं। इस आरती का दर्शन सिर्फ मंदिर समिति से जारी विशेष पास धारी श्रद्धालु ही कर पाएंगे।
सेहरा लूटने की परंपरा
साल में एक बार होने वाली भस्मारती के पहले बाबा महाकाल का सेहरा दर्शन तथा सेहरा लुटने के लिए लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जब भगवान महाकाल का सेहरा उतारा जाता है उस समय श्रद्धालु उनके सेहरे के फूल, धान आदि लेने के लिए पहुंच जाते हैं। कहा जाता है कि इस परंपरा का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है मगर इसे मंदिर के श्रद्धालु सेहरा लूटने की परंपरा बताते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सेहरे के धान को घर में रखने से मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद बना रहता है। इसके अलावा भगवान के सेहरे के फूल लोग अपनी तिजोरी में बरकत के लिए रखते हैं। इसी तरह फल आदि भी प्रसाद के रूप में ले जाते हैं।
मंदिर पुजारी ने बताया कि उज्जैन में महाशिवरात्रि पर्व 9 दिवस तक बनाया गया। यहां भगवान का पल-पल जल, दूध अभिषेक किया गया। वही महाशिवरात्रि के समापन पर भगवान को सुबह 4 बजे डेढ़ कुंटल फूलों से सेहरा बंधा गया है और आज दिन में 12:00 बजे भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती होगी। जिसके पश्चात रात 11:00 बजे तक श्रद्धालु भगवान के दर्शन करेंगे।