September 24, 2024

आपके पूर्वज मुर्ख नहीं थे, उन्होंने क्रिश्चन, मुस्लिम का गुलामी साहा लेकिन कभी धर्म परिवर्तन नहीं किया : पंडित खिलेंद्र दुबे

0

रायपुर

मंदिरों में कोई अंतर नहीं होता है, सभी भगवान वही फल देते है जहां तुम पूजा करने जाते हो। भगवान शंकर पूरे संसार व ब्रह्माण्ड का राष्ट्रपति है और उन्हीं के अनुसार यह संसार चल रहा है। आपके पूर्वज मुर्ख नहीं थे, उन्होंने क्रिश्चन, मुस्लिम का गुलामी साहा लेकिन कभी धर्म परिवर्तन नहीं किया। बिना चरण धोए कभी सोना नहीं चाहिए और न ही चरण को गीला किए। पाप करने से बड़ा पाप सहना है, उससे पापी बढ़ता है। जो पॉवर किसी भी मंत्र में नहीं है वह मृत्युंजय जप में है। उक्त बातें खमतराई के दोना पत्तल फेक्टरी बम्हदाई पारा में चल रह श्री शिव महापुराण कथा व महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक कार्यक्रम के छठवें दिन पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहीं।

उन्होंने कहा कि बेटी को माँ शिक्षा देती हैं, घर के बुजुर्ग आज भी बेटियों को शिक्षा देते है कि बेटी पिहर में जाना और हमारी ईज्जत बनाए रखना और इसी के तहत 752 श्लोकों में माँ पार्वती को शिक्षा दी गई है। उत्तम पति वही है जिसके सपने में भी दूसरा पुरुष आता न हो और सिर्फ पति का ही स्थान हो। अपने कुल की मयार्दा के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए, अमर्यादित कार्य नहीं करना चाहिए। विवाह के बाद जब माँ पार्वती भगवान शिव के घर पहुंची तो उन्हें लगा कि घर कहीं और होगा, तब भगवान शिव ने उन्हें कहा कि काहे का मकान आसमान मेरा घर है, ये धरती मेरा वास है क्योंकि राष्ट्रपति है भगवान शंकर पूरे संसार व ब्रह्माण्ड का। चाहे किसी का हाथ, पैर या मुंह, आंख न हो फिर भी उसे खिलाना चाहिए है क्योंकि उसे खिलाने वाला भगवान शंभू है और वही मनुष्य मनुष्य है जो खुद भी सुख रहे और दूसरों के सुख को अपना और दूसरों के दुख को दुख समझे।
पंडित दुबे ने कहा कि बिना चरण धोए कभी सोना नहीं चाहिए और न ही चरण को गीला किए उसे पोछना जरुर चाहिए। जूठा मुंह सोना नहीं चाहिए, आज कल तो आदमी गुटखा खाते-खाते सो जाता है। उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए अशुद्ध मुंह नहीं रहना चाहिए। कभी-कभी बड़े अधिकारी मान भी जाते है लेकिन चपरासी काम को रोक देता है ठीक उसी प्रकार तारकासुर के सेनागण थी जो इंद्रलोक छोडऩा नहीं चाहते थे। जो 6 माताओं का स्तनपान करें उसका नाम है कीर्तिक और इसी को अय्यपा स्वामी, मुर्गन स्वामी भी बोलते है। जो पॉवर किसी भी मंत्र में नहीं है वह मृत्युंजय जप में है।

एक व्यक्ति था जो न तो खड़ा हो पाता था और न ही बैठ पाता था एक दिन वह मुर्गन स्वामी के दर्शन कर लौटा तो पूरी तरह से ठीक हो गया। इसलिए कहता हूं इधर – उधर न भटको जो आपके पूर्वजों के देवता है उसकी को मानो। आपके पूर्वज मुर्ख नहीं थे, उन्होंने क्रिश्चन – मुस्लिम का गुलामी साहा लेकिन धर्म परिवर्तन कभी नहीं किया। जब तुम्हें भगवान ने हिन्दू बनाकर इस दुनिया में भेजा है तो अपने पूर्वजों के धर्म को मिट्टी में मत मिलाओ। भगवान कार्तिक के पूजा करने से जिनका विवाह नहीं हुआ रहता है वह हो जाता है और जिनको संतान की प्राप्ति नही हो पाती है उनके घर में किलकारियां गूंजने लगती है। कार्तिक कोई छोटे-मोटे देवता नहीं है क्योंकि वह शंभू के पुत्र है।

पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहा कि मंदिरों में कोई अंतर नहीं है, कई लोग दूर-दूर मंदिर जाते है जैसे डोंगरगढ़, रतनपुर लेकिन पास के मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं करने जाते। सभी मंदिरों में स्थापित भगवान वहीं फल देते है जो पास में स्थित मंदिर में पूजा करने से मिल सकता है। भगवान कार्तिक ने तीन ज्योर्तिलिंग स्थापित किया प्रतिकेस्वर, कापलेश्वर और कुमार लेश्वर और उसकी पूजा करने लगे। वापस आए इतने में शेषनाम का पुत्र कुमुद कुमार आया और कुलंभा सुर का वद कर दीजिए बोला। इस पर भगवान कार्तिक ने कहा पाप करने से बड़ा पाप सहना है, उससे पापी बढ़ता है। इसलिए कहा जाता है कि अगर सामने वाला कोई बात बोल रहा है तो आपनी बात न करके सामने वाली की पूरी बात सुनना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *