September 25, 2024

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. उमाशंकर शुक्ल जी को सादर स्मरण किया कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने

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रायपुर
कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. उमाशंकर शुक्ल की जयंती (19 फरवरी) का आयोजन आशीर्वाद भवन, बैरन बाजार, रायपुर में किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ अध्यक्ष, सचिव एवं उपस्थित सदस्यों द्वारा शुक्ल जी के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया । इस अवसर पर अध्यक्ष पं. अरुण शुक्ल जी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि हमारे समाज के पूर्व अध्यक्ष स्व. पं. उमाशंकर शुक्ल जी की गोद में खेला हूँ। उस समय समाज में जो भी अध्यक्ष बने वो अपनी योग्यता वं कामयाब व्यक्तित्व के कारण बने,  जिनमें स्व. उमाशंकर शुक्ल जी एक थे। समाज उनके कार्यों की चर्चा आज भी करता है। हमें गर्व होता है कि हमारे पूर्व अध्यक्ष गण इतने नेक कार्य किये।

इस कार्यकारिणी को धन्यवाद देते हुए पं. अरुण शुक्ल जी ने बताया कि 107 वर्ष पुरानी इस संस्था में जिन जिन अध्यक्षों का मार्गदर्शन, नेतृत्व संस्था को मिला उनके हम आभारी है और उनका सादर ससम्मान स्मरण कर एक अच्छा संदेश समाज को देना चाहते है कि बीते हुए कल में जिन लोगों ने दिशा, मार्गदर्शन दिया,  वे विस्मृत ना हो जाए। संस्था के अध्यक्ष के रूप में स्व. उमाशंकर शुक्ल जी कार्यकाल 1980-81 तक रहा। सचिव पं. सुरेश मिश्र ने कहा कि 1985 में रायपुर में जब मैं शासकीय सेवा पर लगा तब मैं  उनके संपर्क में आया पं. उमाशंकर शुक्ल जी हम सब नई पीढ़ी के प्रेरणास्त्रोत रहे। यह सौभाग्य की बात है कि आज छत्रपति वीर शिवाजी की भी जयंती है। समाज के वरिष्ठ सदस्य पं. राजकुमार अवस्थी जी ने कहा कि वे मेरे सगे मामा थे उनका रेल्वे स्टेशन से लेकर बहुत बड़ा सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक साम्राज्य था।

उस समय के सबसे ज्यादा मदद करने वाले लोगों में उनकी गिनती होती थी। समाज के आजीवन सदस्य पं. अमर मिश्र ने कहा कि उमाशंकर शुक्ल जी मेरे नाना थे, उनके ही कारण मुझे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी जैसी हस्तियों का हमेशा आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन मिलता रहा।  इस अवसर पर श्रीमती ममता शुक्ला सलाहकार ने कहा कि कक्का जी का नाम मैंने अपने मायके से लेकर ससुराल तक में अपने पिता, ससुर आदि से हमेशा सुनती रही। हमारे परिवार में उनका बहुत आना-जाना था, इतने सारे उनके परिवार के लोग आज उनकी जयंती में उपस्थित हुए, सबको देखकर अच्छा लगा। मैं पुनः पं. उमाशंकर शुक्ल जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ। समाज के वरिष्ठ सदस्य पं. बाजपेयी जी ने भी छायाचित्र पर पुष्प अर्पण कर उन्हें सादर सम्मान दिया।

पं. उमाशंकर शुक्ल जी के पौत्र पं. रविन्द्र शुक्ल ने अपने दादाजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एमबीबीएस कि पढ़ाई अधुरी छोड़कर वे आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए एवं जेल तक की यात्राऐं किए। पं. शुक्ल जी रेल्वे के बहुत बड़े ठेकेदार थे। खड़गपुर से लेकर नागपुर तक उनका कामकाज फैला हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री डी.पी.मिश्र जी उन्हें अपना मानस पुत्र मानते थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं. उमाशंकर शुक्ल जी ने आजादी के बाद ताम्रपत्र तक लेने से इनकार कर दिया एवं निःस्वार्थ आजादी की लड़ाई लड़ी।

स्व. उमाशंकर शुक्ल जीवन भर लोगों की हर संभव मदद में हमेशा अग्रणी रहें। स्व. उमाशंकर शुक्ल जी के छोटे पुत्र प्रेमशंकर शुक्ल एवं पुत्रवधु श्रीमती शर्मिला शुक्ला ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए अपने पिता की याद में एक लाख रुपये कान्यकुब्ज शिक्षा मंडल को दान स्वरूप प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन सहसचिव रज्जन अग्निहोत्री ने किया एवं बताया कि पं. शुक्ल जी ऐसे समय में समाज के अध्यक्ष बने जब समाज को धन एवं मजबूत संगठन की नितांत आवश्यकता थी और उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी समझा और बखूबी निर्वाह किया।

सभा की उपाध्यक्ष श्रीमती निशा अवस्थी ने कार्यक्रम के आयोजन के प्रति एवं उपस्थित जनों के प्रति आभार प्रगट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अध्यक्ष अरूण शुक्ल, सचिव सुरेश मिश्र, उपाध्यक्ष श्रीमती निशा अवस्थी, उपाध्यक्ष राघवेन्द्र मिश्र, सहसचिव रज्जन अग्निहोत्री, सलाहकार श्रीमती ममता शुक्ला, श्रीमती अर्चना त्रिवेदी, श्रीमती सुनयना शुक्ला, श्रीमती नीता अवस्थी, श्रीमती राधा तिवारी, श्रीमती निशा पाण्डेय, श्रीमती संध्या अजय मिश्र, राजकुमार अवस्थी, शशिकांत मिश्र, राम किशोर दीक्षित, प्रकाश अवस्थी, संजय शुक्ल, सुशील त्रिवेदी, श्रीमती रीता पाण्डेय, श्रीमती आशा दुबे, श्रीमती शर्मिला शुक्ला, श्रीमती उर्मिला बाजपेई, प्रेमशंकर शुक्ल, अमर मिश्र, भगवती प्रसाद वाजपेयी, विमल शुक्ल, रविन्द्र शुक्ल, विवेक पाण्डेय, संजय दीक्षित, एस.एस. त्रिवेदी, अजय प्रसाद मिश्र, सूरज शुक्ल, कमलनारायण, इन्द्र कुमार तिवारी, एन.एल.शुक्ल आदि उपस्थित रहे।

 

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