November 12, 2024

5 सूत्रीय मांगों को लेकर मेकॉज के जूनियर डॉक्टर जा सकते हैं हड़ताल पर

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जगदलपुर

मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में विगत माह जनवरी में जूनियर डॉक्टरों के साथ ही बांडेड डॉक्टरों के द्वारा अपनी 05 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म किया गया था। लेकिन एक माह बाद भी डॉक्टरों की मांगों के ऊपर किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते एक बार फिर से हड़ताल की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है। अपनी मांगों को लेकर डॉक्टरों की टीम ने फिर से पत्र दिया है। जिसमें बताया गया है,की मेकॉज में काम करने वाले सभी इंटर्न, पीजी, एसआर, बोंडेड डॉक्टरों को दूसरे राज्यों के अपेक्षा कम पैसे देने को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों ने एक माह पहले हड़ताल किया था। डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ती मंहगाई की इन परिस्थितियों में जीवनयापन में कठिनाई आ रही है, जिससे वापस 5 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल की स्थिति बन रही है।

मेकॉज के शिशु वार्ड में पदस्थ डॉ. पुष्पराज प्रधान ने बताया कि 19 से लेकर 25 जनवरी तक अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल किया था। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म कर दिया गया था। लेकिन मामले को एक माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी डॉक्टरों की मांगों को दरकिनार कर दिया गया है। इसी बात को लेकर डॉक्टरों की टीम ने फिर से पत्राचार कर अपनी मांगों को याद दिलाया है। जिससे कि डॉक्टरों के अंदर असंतोष व्याप्त हैं। बढ़ती मंहगाई की इन परिस्थितियों में जीवनयापन में कठिनाई आ रही है, जिससे वापस कार्य रोकने की स्थिति बन रही है। वहीं देखा जाए तो वर्तमान में प्रदेश के जूनयिर रेसीडेन्ट डॉक्टरों को दिया जा रहा मानदेय अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है, जिसके लिए हमारे द्वारा पिछले 02 वर्षों से लगातार पत्र एवं बैठक के माध्यम से वृद्धि हेतु प्रस्ताव भेज रहे हैं। परन्तु अनेकों आश्वासनों के बाद भी जूनयिर रेसीडेन्ट डॉक्टर्स को केवल निराशा ही मिली है।

उन्होने कहा कि प्राकृतिक न्याय एवं सामान्य तर्क की अद्वितीय विडंबना है कि छत्तीसगढ़ में पोस्ट पीजी बांडेड डॉक्टर्स की ना केवल अपनी श्रेणी से कम बल्कि अपने से निचली श्रेणी से भी कम मानदेय दिया जा रहा है। भारत में मानवाधिकार के हनन का अनोखा उदाहरण बनता जा रहा है। पूर्व में संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा 1 जुलाई 2019 के द्वारा सचिव छत्तीसगढ़ शासन से जूनियर रेसीडेन्ट डॉक्टर्स के मानदेय में वृद्धि का आवेदन किया था, एवं महंगाई भत्ता के एवज में सामयिक वृद्धि का प्रस्ताव भी रखा था। जिसके पश्चात जुनियर रेसीडेन्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव एवं वित्त सचिव से कई बार पत्र एवं बैठक के माध्यम से उन्हें हमारी समस्याओं से अवगत करवाने के पश्चात भी कोई स्थाई हल नहीं निकल पाया है। उन्होने बताया कि विगत 4 वर्षों से जूनियर रेसीडेन्ट डॉक्टर्स के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई है जबकि प्रदेश के हर श्रेणी के कर्मचारियों की शासन द्वारा विभिन्न रूप से वेतन वृद्धि करी जा चुकी हैं।

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