राहुल गांधी के ‘वन मैन वन पोस्ट’ नारे से कांग्रेस का किनारा, ठंडे बस्ते में कई बड़े प्रस्ताव
नई दिल्ली
पिछले साल उदयपुर चिंतन शिविर में कांग्रेस ने कई संकल्पों के साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया था। इसमें राहुल गांधी द्वारा पेश किया प्रस्ताव 'वन मैन वन पोस्ट' (one man one post) भी शामिल था। भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी ने कई बार इस मंत्र को दोहराया। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के वक्त भी यह संकल्प पार्टी नेताओं में देखा गया था। लेकिन, रायपुर में हुए कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में कांग्रेस संशोधन समिति ने राहुल गांधी के इस प्रस्ताव से किनारा कर दिया है। कांग्रेस ने रायपुर में अपने 85वें पूर्ण अधिवेशन के दौरान पार्टी संविधान में कई संशोधनों को मंजूरी दी और कई कानून प्रस्तावित किए। मुहर लगाने वाले प्रस्तावों में कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, ओबीसी, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और युवाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देने वाले एक संशोधन को अपनाया। संविधान संशोधन समिति ने पिछले साल उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में जिस बड़े प्रस्ताव वन मैन वन टिकट फॉर्मूले को अपनाने का संकल्प लिया था, उससे किनारा कर दिया है। यह नारा राहुल गांधी ने खुद दिया था। यही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी इस संकल्प को लगातार दोहराते दिखे।
उस वक्त राहुल ने क्या कहा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था, "हमने उदयपुर (एक व्यक्ति, एक पद) में जो फैसला किया था, वह कांग्रेस की प्रतिबद्धता है और मुझे उम्मीद है कि प्रतिबद्धता (पार्टी के अध्यक्ष पद पर) कायम रहेगी।" हालांकि तथ्य यह है कि संशोधन समिति ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव से दूर रहने का फैसला किया है।
'एक परिवार एक टिकट' पर भी अस्पष्टता
दिलचस्प बात यह है कि चिंतन शिविर का दूसरा सुधार 'वन फैमिली, वन टिकट' फॉर्मूला था। यह नियम गांधी परिवार पर भी लागू होगा। संशोधन समिति ने इस प्रस्ताव से भी किनारा कर दिया है। उदयपुर चिंतन शिविर में यह कदम यह दिखाने की कोशिश थी कि कांग्रेस पर लगातार लग रहे परिवारवाद वाले आरोपों से खुद को बचाया जाए। चिंतन शिविर में अपने भाषण में, राहुल गांधी ने उल्लेख किया था कि केसी वेणुगोपाल प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर, संविधान संशोधन समिति के संयोजक रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये नीतिगत मुद्दे हैं और कई में संशोधन की आवश्यकता नहीं है और पार्टी के भीतर विचार-विमर्श किया जा सकता है।