58 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद पिता की राह देखता बेटा, लगाई रिहाई की गुहार
नई दिल्ली
ओडिशा के भद्रक जिले के विद्याधर पात्री को इस बात की उम्मीद है कि उनके पिता पाकिस्तान की जेल से लौट कर वापस आएंगे। उन्होंने पाकिस्तान की जेल से अपने पिता की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से गुहार लगाई। हालांकि, साथ ही यह डर भी है कि कहीं उनके पिता जीवित हैं न या नहीं। साल था 1965, भारत-पाकिस्तान युद्ध अपने चरम पर था। विद्याधर के पिता आनंद पात्री बंगाल डिफेंस रेजीमेंट में सिपाही थे। वह युद्ध के बीच में गायब हो गऐ। उसके बाद तीस साल से अधिक समय बीत गया। 2003 में एक अखबार की रिपोर्ट में विद्याधर को पता चला कि उनके पिता पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद हैं। इसके बाद विद्याधर पात्री ने प्रशासन का दरवाजा खटखटाया. लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। उन्होंने उम्मीद भी नहीं छोड़ी। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑफिस में चिट्ठी भेजी है.
विद्याधर अब 65 साल के हो चुके हैं। उन्हें अपने पिता का चेहरा याद नहीं है। मगर उन्होंने उम्मीद है कि आनंद जिंदा होंगे तो उनकी उम्र अभी 88 साल होगी। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके पिता कोलकाता से सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने कहा, "65 युद्ध के बाद वह वापस नहीं आए। 2003 से पहले तो मुझे पता ही नहीं था कि मेरे पिता आनंद पात्री कहां हैं।"
विद्याधर का दावा है, ''2003 में भी अगर मेरे पिता रिहा होकर घर लौटते हैं तो वह हमारे साथ काफी समय बिता सकते थे। अब पता नहीं वह जीवित है या नहीं। मेरा अनुरोध है, यदि जीवित नहीं हैं, तो कम से कम हमें उनका मृत्यु प्रमाण पत्र दे दें। उन्होंने यह भी कहा कि 2007 में पाकिस्तानी प्रशासन आनंद को एक आम भारतीय नागरिक के तौर पर रिहा करना चाहता था। भारत एक सेना के रूप में उनकी रिहाई का सम्मान चाहता था। जैसा कि पाकिस्तान ने नहीं माना। मगर उनकी किस्मत फिर से जेल के अंधेरे में ले गई।" अब विद्याधर चाहते हैं कि उनके पिता को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिले।