‘उमेश गवाह थे, मैं तो वादी हूं’, विधायक पूजा पाल ने जताया खतरे का अंदेशा; CBI ने दी हिदायत
प्रयागराज
राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद सपा विधायक पूजा पाल को भी डर सताने लगा है। पूजा पाल ने कहा कि उमेश गवाह थे तो यह हाल हुआ, मैं तो मुकदमे की वादी हूं। पूजा पाल ने कहा कि लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में राजू पाल मर्डर केस का ट्रायल अंतिम दौर में है। सीबीआई ने उन्हें हिदायत दी है कि वह बिना उसकी जानकारी के बाहर मूवमेंट ना करें। पूजा पाल के पति पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को हो गई थी। उन्हें शूटरों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड के गवाह थे। 18 साल बाद कातिलों ने उनके साथ भी वही खूनी खेल खेला। उमेश पाल की हत्या करने वही लोग निकले, जिन्होंने राजू पाल की हत्या की थी। सीसीटीवी फुटेज से इनकी पहचान हुई है। कहा जा रहा है कि शूटरों और हमलावरों ने अपना चेहरा जानबूझ कर नहीं छिपाया था क्योंकि वो चाहते थे कि उन्हें देखा जाए, जिससे लोगों में उनकी दहशत हो। इस पूरे घटनाक्रम से विधायक पूजा पाल को भी अपनी सुरक्षा को लेकर डर सताने लगा है।
उमेश पाल के घर असहज हो गईं पूजा
शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद उमेश पाल का शव उनके घर पहुंचने से कुछ देर पहले चायल विधायक पूजा पाल उनके घर पहुंचीं। उमेश के घर पूजा उनके परिजनों के साथ बैठ गईं। कुछ देर तक माहौल गमगीन रहा। इसके बाद उमेश की मां शांति के बगल में बैठी एक महिला ने कहा कि लोग कहते थे की अतीक से मिल गया है उमेश, आज उन लोगों को पता चल गया होगा की उमेश मिला था की नहीं। इस पर पूजा पाल ने कहा कि आज यहां ऐसी कोई बात न बोली जाए जो कलेजे में जाकर लगे। इसके बाद दोनों महिलाओं में कहासुनी हो गई। जिस पर तमतमाई विधायक कुर्सी छोड़ खड़ी हो गईं और महिला पर भड़क गईं। इसके बाद पूजा ने रोते हुए उमेश पाल की बहन से कहा, दीदी इसीलिए मैंने इस घर में आना छोड़ दिया था। सुरक्षाकर्मियों ने माहौल शांत कराते हुए पूजा को कुर्सी पर बैठने के लिए कहा और पूजा अपने स्थान पर बैठ गईं।
अभियोजन को कमजोर करने की कोशिश तो नहीं
राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की हत्या को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उनमें एक यह भी कि कहीं यह वारदात राजू पाल मर्डर केस के ट्रायल में अभियोजन पक्ष को कमजोर करने की कोशिश तो नहीं है। क्योंकि उमेश पाल अभियोजन पक्ष का मुख्य गवाह था। हालांकि कानून के जानकारों के अनुसार इससे उस ट्रायल पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अभियोजन पक्ष के अन्य गवाह भी हैं और उमेश के अपहरण का मामला भी उसके लिए सहायक हो सकता है।
राजू पाल हत्याकांड के मुकदमे पर पड़ेगा उमेश की हत्या का असर
विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या होने का असर एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे उमेश पाल के अपहरण के मुकदमे पर भी पड़ेगा। वहीं, उमेश पाल जिन अन्य मुकदमों में गवाह या पीड़ित थे उन पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे में सभी गवाहों की गवाही और जिरह पूरी हो चुकी है। आरोपितों और आरोपितों की ओर से पेश 51 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। प्रतिदिन मुकदमे की अंतिम बहस दोनों पक्षों की ओर से हो रही है। इस मुकदमे में कुछ आरोपितों की ओर से उमेश पाल की जिरह नहीं की गई है। आरोपितों की ओर से लगातार यह तर्क दिया जा रहा है कि उनको जिरह का अवसर प्रदान नहीं किया गया है। इसी कानूनी बारीकी को आधार बनाकर बचाव पक्ष लाभ लेने का प्रयास कर रहा है। सरकार की ओर से इस मुकदमे में बहस कर रहे सहायक शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार वैश्य का कहना है कि प्रत्यक्ष एवं कानूनी रूप से अपहरण कांड पर कोई कानूनी अड़चन नहीं होगी, परंतु बहस के दौरान सुबह से शाम तक साथ में खड़े रहने, तैयारियां करने, नजीरों को संकलित करने तथ्यों को सामने लाने के लिए जो उनके और उनकी टीम के द्वारा सहयोग किया जाता रहा है, वह नहीं हो सकेगा।