खौफ से दुकानें बंद, गश्त से गूंजती गलियां; कहानी 9 कत्लों के गवाह जम्मू के दो गांवों की
नई दिल्ली
जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले में फलियाना और डांगरी गांव हुए आतंकी हमले के बाद लोग खौफ में जी रहे हैं। अलग-अलग घटनाओं में अज्ञात हमलावरों ने यहां घटना को अंजाम देते हुए नौ से अधिक लोगों की जान ले ली। पहले रात में आबाद इस शहर में आलम ये है कि शाम से ही दुकानों का शटर गिर जाता है और घरों की बत्तियां बंद हो जाती है। सीआरपीएफ की गाड़ियां गश्त लगाती हैं और कुत्तों के भौंकने के अलावा कुछ भी नहीं सुनाई देता।
15 दिन के भीतर हुए दो आतंकी हमले
पिछले साल 16 दिसंबर को राजौरी शहर के पास मुरादपुर में सेना शिविर के अंदर एक कैंटीन चलाने वाले फलियाना गांव निवासी कमल कुमार और उनके सहयोगी सुरिंदर कुमार शिविर के बाहर रात का खाना खाने के लिए बैठने ही वाले थे, तभी अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें गोली मार दी। फायरिंग में उत्तराखंड निवासी अनिल कुमार घायल हो गया। 15 दिन बाद 1 जनवरी को नदी के उस पार, ऊपरी डांगरी गांव में दो अज्ञात आतंकवादियों ने सात नागरिकों को मार डाला। इस आतंकी हमले में बच्चों सहित लगभग 15 को घायल हो गए।
लोगों ने दिया धरना
एक संतरी पर नागरिकों की हत्या का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने मुरादपुर सैन्य शिविर के बाहर धरना दिया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया, जबकि पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। सेना ने हालांकि दावा किया कि दोनों नागरिक आतंकवादियों की गोलीबारी में मारे गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ऊपरी डांगरी हत्याकांड की जांच शुरू कर दी है। 15 दिल के भीतर लगातार दो आतंकी हमले के बाद पुलिस और सुरक्षा बल आतंकवादियों की तलाश कर रहे हैं। उन्हें कथित तौर पर आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में इनपुट मिला था, लेकिन मौके पर पुलिस के पहुंचने से पहले ही वे भागने में सफल रहे। तब से, सरकार निवासियों के बीच भय की भावना को कम करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अलग-अलग जगहों पर अपना डेरा जमा लिया है, आतंकियों के फरार होने और भविष्य में ऐसी घटनाएं होने से डर का माहौल बना हुआ है।
शाम के वक्त बंद हो जाती हैं दुकानें
31 दिसंबर को हमला होने से डांगरी चौक के दुकानदार रात करीब 11 बजे तक अपनी दुकानें खुली रखते थे। अब, ज्यादातर दुकानों के शटर शाम 7.30-8 बजे तक बंद हो जाते हैं। इसके बाद डांगरी के निचले और ऊपरी इलाके वीरान नजर आते हैं। लोग अपने घरों के दरवाजे और लाइट बंद कर देते हैं। सिर्फ पेट्रोलिंग ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ जवानों की गाड़ियों की आवाज के साथ-साथ कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनाई देती हैं।
अपने दो वयस्क बेटों को खो चुकीं सरोज बाला ने आतंकवादियों को खत्म करने में देरी का विरोध करते हुए, 20 फरवरी से अनशन पर जाने की धमकी दी थी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रमुख स्थानीय लोगों के अनुरोध के बाद उन्होंने एक महीने को मोहलत दी है। सीआरपीएफ की जवानों की तैनाती के बाद भी लोग खौफ में जी रहे हैं। लोगों का मानना है कि अभी भी आतंकी पकड़े नहीं गए हैं इसलिए खौफ का माहौल बना हुआ है।