बिहार के बच्चे विज्ञान की पढ़ाई में देश भर में अव्वल, 67 प्रतिशत बाल वैज्ञानिक सरकारी स्कूलों से
बिहार
बिहार के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है। चाहे विज्ञान से जुड़े नए प्रोजेक्ट तैयार करना हो या नवाचार। बिहार के बच्चों में विज्ञान के प्रति लगाव पर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों ने भी मुहर लगाई है। विज्ञान नवाचार में बिहार के बच्चे देशभर में अव्वल हैं। पिछले एक साल में सूबे से 9765 बाल वैज्ञानिक बने। इन बच्चों के नवाचार को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिली। इनमें ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।
एनसीईआरटी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में विज्ञान में नवाचार करने में बिहार के बच्चे सबसे आगे हैं। दूसरा नंबर कर्नाटक और तीसरा महाराष्ट्र का है। बाल वैज्ञानिक बननेवालों में कर्नाटक से 8767 और महाराष्ट्र से 5436 बच्चे शामिल हैं। दिलचस्प यह है कि बिहार के कुल 9765 बाल वैज्ञानिकों में से 6543 बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। एससीईआरटी की मानें तो पिछले कुछ सालों से सरकारी स्कूलों के बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक किया गया है। साथ ही नवाचार को लेकर होनेवाली प्रतियोगिता में स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक बच्चों को शामिल कराया जाता है। साल में एनसीईआरटी, एससीईआरटी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राज्य के विज्ञान,प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष नवाचार केंद्रित प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं। विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इंस्पायर अवार्ड भी दिया जाता है।
हर साल नवाचार को लेकर होनेवाली प्रतियोगिताओं में पिछले दो वर्षों से बिहार के बच्चे पहला स्थान हासिल कर रहे हैं। वर्ष 2022 में बिहार के चार हजार बाल वैज्ञानिक राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुए। इन सभी को नवाचार के लिए मंत्रालय द्वारा दस-दस हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया। बच्चे पर्यावरण, स्थानीय समस्याओं, स्वास्थ्य आदि पर सबसे ज्यादा नवाचार कर रहे हैं। साइंस ऑफ सोसाइटी के राज्य शैक्षिक समन्वयक डॉ. सीएस झा ने बताया कि ज्यादातर बच्चे उन चीजों पर नवाचार करते हैं जो उनके आसपास रहती हैं।
किलकारी के अर्पित कुमार ने आर्सेनिगक रिमूवल यूनिट पर नवाचार किया। अर्पित ने बताया कि इस यूनिट को लगाने से यह पता चलेगा कि पानी में कितना आर्सेनिक है। इस यूनिट से आर्सेनिक को पानी से खत्म किया जा सकता है। आर्सेनिक वाली जगहों पर हमने छह महीने का ट्रायल भी किया, जो सफल रहा। अर्पित के इस नवाचार का पेंटेट भी हो चुका है।
साइंस फॉर सोसायटी के अध्यक्ष अरुण कुमार का कहना है कि पिछले कुछ सालों में विज्ञान के प्रति बच्चों का रूझान बढ़ा है। अब बच्चे खुद ही विज्ञान, इनोवेशन में शामिल होते हैं। इतना ही नहीं ये बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बना रहे हैं। पहले इनोवेशन के लिए बच्चों को प्रेरित करना पड़ता था।
औरंगाबाद के विनीत कुमार ने प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का नवाचार किया। इसके लिए विनीत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लद्दाख के क्षेत्र में इसपर वृहद पैमाने पर काम करने का मौका भी दिया। विनीत राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं।