रोजगार मेले के माध्यम से 2 लाख 51 हजार युवाओं को मिला ऑफर लेटर
भोपाल
प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार द्वारा की जा रही भर्ती के बाद भी बेरोजगारी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अब तक की स्थिति में प्रदेश में 39 लाख युवा बेरोजगारी झेल रहे हैं और इस अवधि में सिर्फ 21 युवाओं को सरकारी और अद्धसरकारी संस्थाओं में रोजगार मिला है। रोजगार कार्यालयों के संचालन के लिए इस दौरान करोड़ों रुपए सरकार खर्च कर रही है।
खेल व युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने युवाओं को रोजगार देने संबंधी जानकारी विधायक मेवाराम जाटव के सवाल के लिखित जवाब में दी है। जाटव ने पूछा था कि प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में प्रश्न करने की अवधि तक कितने शिक्षित और अशिक्षित तथा अन्य बेरोजगारों का पंजीयन है। इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि प्रदेश में एमपी रोजगार पोर्टल पर पूछी गई अवधि तक 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित और 1 लाख 12 हजार 470 अशिक्षित युवाओं का पंजीयन जीवित है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में 21 आवेदकों को शासकीय व अर्द्धशासकीय कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया गया।
इसके अलावा निजी क्षेत्र के नियोजकों द्वारा रोजगार मेले के माध्यम से 2 लाख 51 हजार युवाओं को आॅफर लेटर दिए गए हैं। गौैरतलब है कि राज्य सरकार इस साल 1 लाख 14 हजार पदों पर सरकारी नौकरी देने के लिए विज्ञापन जारी कर रही है लेकिन सरकार द्वारा बेरोजगारों के यह आंकड़े गंभीर स्थिति जाहिर कर रहे हैं।
पंद्रह साल में 40 लाख करोड़ के इन्टेंशन टू इन्वेस्ट और 4 लाख एमओयू
प्रदेश में 2008 से वर्ष 2023 के बीच हुई इन्वेस्टर्स समिट को लेकर मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बताया कि वर्ष 2010 और 2012 में हुए समिट में 4 लाख पांच हजार 340 करोड़ के एमओयू साइन किए गए और वर्ष 2014 से जनवरी 2023 तक हुए समिट में कुल 24 लाख 87 हजार 79 करोड़ के 12752 इन्टेंशन टू इन्वेस्ट मिले हैं। जनवरी 2023 में 15 लाख 42 हजार 550 करोड़ के कुल 6957 निवेश आशय प्रस्ताव (इन्टेंशन टू इन्वेस्ट) प्राप्त हुए हैं। इसके लिए भूमि चयन और आवंटन की कार्यवाही की जा रही है। मंत्री दत्तीगांव ने यह जानकारी विधायक जीतू पटवारी द्वारा पंद्रह सालों में हुए निवेश और इन्वेस्टर्स समिट में आए निवेश प्रस्तावों को लेकर किए गए सवाल के लिखित जवाब में दी है।
फीस नियामक आयोग गठन का प्रस्ताव नहीं, आर्थिक बोझ डालने की कम्प्लेन से इनकार
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा वसूली जाने वाली फीस, बस्तों के बोझ कम करने और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने के लिए किसी तरह के नियामक आयोग के गठन की तैयारी नहीं है। मंत्री ने इस बात से भी इनकार किया है कि प्रदेश के भोपाल संभाग में अशासकीय स्कूलों में कोर्स, ड्रेस, स्वेटर, ब्लेजर, शूज आदि में हर साल मामूली बदलाव कर नया सामान खरीदने तथा अनुशासन के नाम पर छात्रों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डालने की कोई शिकायत 2019-20 और 2021-22 में प्राप्त नहीं हुई है।
मंत्री परमार ने विधानसभा में यह जानकारी विधायक आरिफ अकील के सवाल के लिखित जवाब में दी। अकील ने पूछा था कि शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने के लिए और छात्रों पर बस्ते का बोझ कम करने के लिए तथा फीस निर्धारित करने के उद्देश्य से क्या शासन फीस नियामक आयोग का गठन करेगा?