मानव जीवन यज्ञीय जीवन” पर गोष्ठी संपन्न
मानव जीवन श्रेष्ठतम कर्म का परिणाम- आचार्य हरिओम शास्त्री
गाजियाबाद
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "मानव जीवन यज्ञीय जीवन" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह करोना काल से 513 वाँ वेबिनार था।
वैदिक विद्वान आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि हमारा यह मानव जीवन पिछले जीवन के सुकर्म का ही परिणाम है।उन्होंने कहा कि मानव जीवन ही मुक्ति का सोपान है।मानव जीवन मिलता ही मुक्ति की ओर बढ़ने के लिए है।मानव जीवन स्वयं ही एक यज्ञ है।शास्त्र कहते हैं- "यज्ञो यज्ञेन कल्पताम्" अर्थात् मानव जीवन को यज्ञ से ही सफल बनाएं क्योंकि "यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म" यह बात कहते हुए ऋषियों ने कहा है कि यदि संसार में श्रेष्ठतम कर्म करना है तो यज्ञ करो। मानव जीवन किसी न किसी श्रेष्ठतम कर्म का ही परिणाम होता है।वेद तो कहते हैं कि "यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्" अर्थात् -देवताओं ने यज्ञ से ही सृष्टि यज्ञ को सम्पन्न किया।वह कर्म ही प्रथम कर्म था। अतः मुक्ति प्राप्त करने हेतु मिले मानव जीवन को यज्ञ मय बनाकर मुक्ति तक पहुंचें।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि परोपकार की भावना से किया कर्म यज्ञ ही है व्यक्ति को सदैव निष्काम कर्म करते रहना चाहिए।