प्रदेश में विशेषज्ञों की सीधी भर्ती तहत 904 चिकित्सा विशेषज्ञों की होगी भर्ती
भोपाल
प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए पहली बार सीधी भर्ती की जा रही है। 904 पद भरने के लिए इस महीने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) से भर्ती प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसके लिए आरक्षण रोस्टर तैयार किया जा रहा है। बता दें कि प्रदेश में विशेषज्ञों के 3615 पदों में से 2498 रिक्त हैं। बीते मंगलवार को 451 पदों पर स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नत कर विशेषज्ञ बनाए जाने के बाद यह स्थिति है।
स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों (पीजीएमओ) को पदोन्नत कर विशेषज्ञ बनाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में कार्यरत पीजीएमओ की संख्या करीब 1200 है, जबकि पिछले महीने तक विशेषज्ञों के 2949 पद रिक्त थे। ऐसे में सभी पीजीएमओ को पदोन्नत कर दिया जाए तो भी विशेषज्ञों के सभी पद भरे जाना संभव नहीं था। इसी कारण विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की जा रही है।
विशेषज्ञों के पद भरने से यह होगा फायदा
- – अभी प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के करीब 120 अस्पतालों में आपरेशन से प्रसव की सुविधा है। नए विशेषज्ञों के आने से और अस्पतालों में यह सुविधा शुरू हो सकेगी। इससे शिशुओं और प्रसूताओं की मौत रोकने में मदद मिलेगी।
- – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल अस्पतालों में विशेषज्ञों की संख्या बढ़ने से जिला अस्पताल और मेडिकल कालेजोें में दबाव कम होगा।
- – सीपीएस डिप्लोमा कोर्स की सीटें बढ़ सकेंगी।
करीब चार साल से चल रही थी तैयारी
प्रदेश में करीब चार साल से विशेषज्ञों की सीधी भर्ती करने योजना बन रही थी, लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ की तरफ से थी। संघ का कहना था कि पहले सभी स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्न्त कर दिया जाए। इसके बाद विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की जाए। इसके पीछे संघ का तर्क यह था कि बिना पदोन्न्ति किए सीधी भर्ती होगी तो पहले से काम कर रहे स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों (पीजीएमओ) में हीन भावना आएगी। वरिष्ठ होने के बाद भी वह द्वितीय श्रेणी चिकित्सा अधिकारी रह जाएंगे, जबकि नए डाक्टर विशेषज्ञ बन जाएंगे। इसके बाद तय किया गया कि विशेषज्ञ के कुल पदों में से 25 प्रतिशत की सीधी भर्ती और बाकी को पदोन्नति से भरा जाएगा।