September 23, 2024

यूपी के इन शहरों से से उत्तराखंड आ रही मिलावटी मावे-मिठाइयों की खेप, ऐसे करें पहचान नहीं तो सेहत को

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यूपी
होली 2023 का त्योहार नजदीक है। होली में गुजिया विशेष आकर्षण होती है। पहले लोग इसे घर पर बनाना ही पसंद किया करते थे। आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोग बाजार में बनी रेडीमेड गुजिया लेना ही पसंद करते हैं। जिसका पूरा फायदा नकली मावा बनाने वाले लोग उठाते हैं। लेकिन, चिंता की बात है कि नकली मावे और मिठाई की सप्लाई यूपी के सहारनपुर और मुजफ्फरनगर आदि क्षेत्रों से उत्तराखंड में होती है। अकेले काशीपुर की ही बात करें तो शहर में 50 कुंटल मावा की खपत है। मावा बनाने वाले बड़े विक्रेताओं ने बताया कि वह अपने प्रतिष्ठान में ही मावा बनाते हैं।

जो 300 से 350 रुपए तक बेचते हैं। बताया कि बाहर से आने वाला मावा 200 से 250 रुपए तक बिकता है। जो कि सस्ते के चक्कर में लोग खरीद लेते हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मावा में गैस की खपत ज्यादा नहीं होती और दूध भी कम दामों पर मिल जाता है।

तो उनकी लागत कम आती है, जिस वजह से वह सस्ता होता है। लेकिन यूपी के क्षेत्रों से आने वाले मावे की गारंटी नहीं ले सकते हैं। सामने बना हुआ मावा ही खरीदा जाए तो बेहतर है। होली के त्योहार में मावे से तैयार मिठाइयों की भारी डिमांड रहती है। गुजिया हो या फिर कोई  अन्य मिठाई, ज्यादातर को मावे से ही तैयार किया जाता है। इस वजह से मिलावटी मावा बाजार में उतर जाता है। हर साल बड़े स्तर पर नकली मावा और उससे बनी मिठाई पकड़ी भी जाती है, लेकिन इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है। होली के त्योहार पर मिठाई खरीदते समय यह सुनिश्चित कर लें कि मिठाई कहीं नकली मावे से तो नहीं बनी है।

यूपी के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से सप्लाई
गढ़वाल के अधिकांश क्षेत्रों में नकली मावे और मिठाई की सप्लाई सहारनपुर और मुजफ्फरनगर आदि क्षेत्रों से होती है। पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग,ऋषिकेश और देहरादून के कई क्षेत्रों में इन जिलों से सप्लाई होती है। पश्चिम यूपी से बसों के जरिए मिलावटी मावा राज्य तक पहुंचाया जाता है। यूएस नगर जिले में नकली मावा बसों के अलावा बाइकों और प्राइवेट वाहनों से पहुंच रहा। रोडवेज की बसों में साठगांठ से माल रख दिया जाता है और छापे पड़ने पर माल का कोई वारिस नहीं मिलता। जिले में करीब 30 फीसदी मावा मिलावटी आने का अंदेशा है।

आधी कीमत पर मिलता है नकली मावा
हरिद्वार के कनखल में पिछले साल छापेमारी में नकली मिठाई पकड़ी गई थी। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यूपी सीमा से सटा जिला होने की वजह से सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, मुज्जफरनगर आदि से बड़ी मात्रा में बिना बिल और पर्चियों के नकली मावा और मिठाई पहुंचती है। बार्डर पर इसके लिए चैकिंग भी की जाती है। मिलावट खोर नकली मावा कम दामों पर बेचते है। इससे बनने वाली मिठाइयों का भी यही हाल है। 250 रुपए किलो का रसगुल्ला, इन दुकानों पर 160 रुपये किलो में मिल जाता है। इसी तरह मिलावटी बर्फी की कीमत भी आधी होती है। दो साल पहले मंगलौर में मिलावटी रसगुल्ला बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी।

कैसे करें असली मावे की पहचान
मावे में मिलावट का पता लगाने के लिए आयोडीन टिंचर का इस्तेमाल ठीक रहता है। ऐसे में मावे की टिकिया बनाकर 2 बूंद आयोडीन टिंचर डालें। पांच मिनट बाद मावे का रंग काला होने पर समझ जाएं कि इसमें मैदा मिला है। वहीं टिंचर का केसरिया रंग मावे की शुद्धता का संकेत देता है। इसके अलावा अगर मावा असली है तो वह एक दम मुलायम व नर्म दिखेगा। मावा खाने पर मुंह में चिपके तो इसका मतलब मावा नकली है। नकली मावे की लोइयां फटने लगाती है। मावा खाने में कच्चे दूध का टेस्ट दें तो असली है। नकली खोए में चीनी मिलाकर गर्म करतें है तो मावा पानी छोड़ने लगाता है।

मिलावटी मिठाइयां सेहत के लिए खतरनाक
दून अस्पताल के फिजिशियन डॉ अंकुर पांडेय के अनुसार मिलावटी खाद्य पदार्थों के खाने से पेट संबंधी रोग होने का खतरा रहता है। विदित है कि नकली मावा बनाने के लिए कई बार मिल्क पाउडर के साथ चावल, शकरगंदी, आलू, रिफाइंड, केमिकल आदि मिलाए जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नकली मिठाइयों से पेट की बीमारियों के साथ ही अल्सर, पीलिया आदि होने का खतरा रहता है।

स्पेक्स संस्था का दावा, मिठाइयों में बड़ी मिलावट
स्पेक्स संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा ने बताया कि संस्था की ओर से हर साल मिठाइयों की जांच की जाती है। जिसमें बड़े स्तर पर मिठाइयों में मिलावट की पुष्टि हुई है। शर्मा के अनुसार पिछले साल संस्था की ओर से कराई गई जांच में लड्डू और बतीशा में 89 प्रतिशत मिलावट पाई गई। जबकि मावा के 88 और बर्फी में 82 प्रतिशत मिलावट पाई गई। संस्था का दावा है कि अन्य मिठाइयों में भी बड़े स्तर पर मिलावट पाई गई है। हालांकि विभाग संस्था के आंकड़ों को हर बार खारिज करता है।

शुद्धता की परख जरूरी
डॉ शर्मा ने बताया कि बर्फी ,मिल्क केक और गुलाब जामुन को कांच के गिलास में लेकर उबलता गरम पानी डाल दें। ठंडा होने पर एक चुटकी चने की दाल का पाउडर और एक चुटकी हल्दी डालें। यदि गुलाबी रंग आए तो इनमें यूरिया की मिलावट हैं। बर्फी, मिल्क केक को कांच के गिलास में लेकर उसमें गरम पानी डाल दें। ठंडा होने पर एक चुटकी चीनी, छह बूंद नींबू डालें।

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