September 24, 2024

IMF पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर लोन दे भी दे, तब भी डिफॉल्ट होने से नहीं बचेगा -पूर्व वित्त मंत्री की चेतावनी

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इस्लामाबाद
 पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने दावा किया है कि देश पर मंडराता डिफॉल्ट होने का जोखिम खत्म नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1 करोड़ डॉलर का बेलआउट पैकेज पा ले, लेकिन वह डिफॉल्ट होने से नहीं बच सकता है। इस्माइल ने जियो न्यूज के एक कार्यक्रम में शाहजेब खानजादा के साथ बातचीत में कहा कि चुनाव के बाद जो भी सरकार सत्ता में आएगी, उसे आईएमएफ से नए सिरे से बेलआउट पैकेज पाने की जरूरत होगी।

आईएमएफ के अनुमान को बताया गलत

पूर्व पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के चालू खाता घाटे के 8 अरब डॉलर तक पहुंचने का आईएमएफ का अनुमान उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के मित्र देश उससे नाराज हैं, क्योंकि वह जो कहता है वह करता नहीं है। इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर टिप्पणी करते हुए इस्माइल ने कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक बुरा दिन था कि रुपया डॉलर के मुकाबले 300 के करीब पहुंच गया था और ब्याज दर 20 फीसदी तक पहुंच गई थी।

पाकिस्तान सरकार पर साधा निशाना

उन्होंने परोक्ष रूप से पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार की आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के एक नेता ने अफसोस जताया कि डॉलर को 240 पर रखने की जरूरत नहीं थी, खासकर ऐसे समय में जब सरकार के पास धन नहीं था। जब आप आईएमएफ की शर्त पर डॉलर को मुक्त बाजार में छोड़ते हैं, तो यह 230 से 260 तक उछलता है। फिर आप पेट्रोल की कीमत कम करते हैं और दो दिनों में यह फिर से 30 रुपये बढ़ जाता है। यह गंभीर आर्थिक नीति नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था के साथ मजाक है।

आईएमएफ के साथ सौदे पर जोर दिया

मिफ्ताह इस्माइल ने आगे कहा कि अगर सरकार डॉलर को कृत्रिम रूप से 180 रुपये पर रखना चाहती थी तो उसे इसे 12 रुपये पर रोक देना चाहिए था। उन्होंने कहा, ''अगर आप रेट खुद तय कर सकते हैं तो इसे 10 रुपये कर दें या एक डॉलर को 1 रुपये कर दें, यह सब मजाक है।' पाकिस्तान सरकार को सुझाव देते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहली चीज जो करने की जरूरत है वह आईएमएफ के साथ सौदा सुरक्षित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि श्रमिकों के औसत वेतन को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि वे इस महंगाई में जीवित रह सकें।

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