अनाथालयों में रहने वाले 91 बच्चों में से केवल चार को ही मिली सरकारी नौकरी
भोपाल
प्रदेश में अनाथ बच्चों के लिए शासकीय और अशासकीय 92 संस्थाएं कार्यरत है। यहां उनकी पढ़ाई, रहने, खाने का इंतजाम भी है लेकिन इन बच्चों की जाति तय नहीं हो पाने के कारण इन्हें शासकीय नौकरियों में जातिगत आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल पाता। पिछले नौ सालों में अनाथालयों में रहने वाले 91 बच्चे ग्रेजुएट हुए और 21 पोस्ट ग्रेजुएट हुए लेकिन इनमें से केवल चार को ही सरकारी नौकरी मिल पाई है।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित अनाथ बच्चों के लिए 92 शासकीय एवं अशासकीय बाल देख रेख संस्था अनाथालय संचालित है। इनमें वर्तमान में 1891 बच्चे विद्यार्थी प्रायमरी, मिडिल और हायर सेकेण्डरी तथा महाविद्यालयों में अध्ययनरत है। चूंकि ये बच्चे अनाथ होते है और इनकी जाति का पता नहीं होता इसलिए इन्हें किसी जाति समूह में रखने का निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग ने भी तय नहीं किए है। इसके चलते उच्च शिक्षा के बाद इन बच्चों को शासकीय नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। एक जनवरी 2015 से 2023 तक प्रदेश के अनाथालयों में रहने वाले कुल 91 बच्चों ने स्रातक डिग्री हासिल की है।
21 विद्यार्थी स्नातकोत्तर डिग्री ले चुके है। लेकिन इनमें से केवल चार बच्चों को ही सरकारी नौकरी मिल पाई है। इसमें वर्ष 2015 में बीकॉम डिग्रीधारी एक बच्चे को आंतरिक अंकेक्षण अधिकारी की नौकरी मिली है। 2020 में बीएससी नर्सिंग डिग्रीधारी एक बच्चे को नर्स की नौकरी मिली तथा वर्ष 2022 में जीएनएम नर्सिंग और दसवीं पास दो बच्चों को समुदाय चिकित्सा अधिकारी एवं भृत्य की नौकरी मिली है।
अनाथालय में रहने वाले बच्चों को शासकीय नौकरियों में विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें लाभ मिल सके इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को कोई नियम बनाने चाहिए। इन बच्चों को अधिक से अधिक शासकीय नौकरियां मिल सके इसके लिए भी अधिक से अधिक प्रयास किए जाने चाहिए।
यशपाल सिंह सिसोदिया, भाजपा विधायक