चुनावी साल में जमीनों की कीमत को लेकर कलेक्टर गाइडलाइन की स्थिति साफ नहीं
भोपाल
चुनावी साल में जनता को राहत देने की तैयारी है। इस बार जमीनें महंगी कर सरकार लोगों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाह रही है। ऐसे संकेत उच्चस्तर पर हुई बैठकों से मिल रहे हैं। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए तैयार की जा रही कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है।
हालात यह है कि महानिरीक्षक पंजीयक दो दौर की समीक्षा कर चुके हैं। इस दौरान प्रस्ताव को अपडेट भी कराया गया। बावजूद इसके इसे उप जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में नहीं प्रस्तुत किया गया। लगातार तीन बार समिति की बैठक टल गई।
मसौदा तैयार की डेड लाइन थी आज
वित्तीय वर्ष 2023-24 की नई कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की दरें तय करने के लिए पंजीयन मुख्यालय ने जो शेड्यूल जारी किया था। उसके अनुसार 10 मार्च तक प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन का मसौदा तैयार करना था। जिला मूल्यांकन समिति से अनुमोदन कराने के बाद केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजना था, लेकिन शेड्यूल के हिसाब से अब तक ऐसा नहीं हुआ।
ऐसे चलनी थी प्रक्रिया
- 15 जनवरी तक उप पंजीयक द्वारा उप जिला मूल्यांकन समिति का अनुमोदन प्राप्त कर जिले की गाइडलाइन के प्रस्ताव को जिला मूल्यांकन समिति को भेजना था।
- 30 जनवरी तक जिला पंजीयक द्वारा जिले की एक-एक लोकेशन के रेट तय कर समिति से अनुमोदन कराने के साथ गाइडलाइन का प्रारंभिक प्रकाशन कराना था।
- 15 फरवरी तक आम जनता से सुझाव और दावे आपत्ति प्राप्त करने थे।
- 28 फरवरी तक जनता की तरफ से प्राप्त सुझावों का निराकरण कर जिला मूल्यांकन समिति का अंतिम अनुमोदन के लिए भेजना था।
- 10 मार्च तक जिला मूल्यांकन समिति से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद प्रस्तावित गाइडलाइन को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजना है।
- 31 मार्च तक केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के अनुमोदन के बाद नई गाइडलाइन वर्ष 2023-24 का संपदा के तहत अंतिम प्रकाशन करना होगा।
कांग्रेस ने सरकार बनने के बाद दी थी राहत
कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में कलेक्टर गाइडलाइन में राहत देने की घोषणा की थी। सरकार बनने के बाद दो साल तक कलेक्टर गाइडलाइन नहीं बढ़ाई गई थी। अब एक बार फिर चुनाव है, ऐसे में सरकार पर जनता को राहत देने का दबाव भी है। कारण है कि भोपाल में कलेक्टर गाइडलाइन पहले से ही काफी अधिक है। यही कारण है कि हर बार दरें बढ़ाने का विरोध होता है।