डिफेंस, सिक्योरिटी, ट्रेड… भारत-ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक समझौते, इंडो-पैसिफिक में ये दोस्ती कितनी अहम?
नई दिल्ली
कुछ साल पहले तक भारतीय लोगों में क्रिकेट को लेकर ही ऑस्ट्रेलिया की चर्चा होती थी और ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट खिलाड़ी ही भारतीयों को याद रहते थे। लेकिन, अब वक्त बदल गया है और मोदी सरकार के आने के बाद से सिर्फ क्रिकेट को लेकर नहीं, बल्कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू हुई दोस्ती के चर्चे पूरी दुनिया में की जा रही है। खासकर इंडो-पैसिफिक में पिछले कुछ सालों से जो तनाव है, उसे लेकर दोनों देशों के बीच की दोस्ती आने वाले सालों में काफी अहम नतीजे देने वाली है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज का तीन दिनों के भारत दौरा खत्म हो गया है और इस दौरान दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक समझौते हुए हैं। आइये जानते हैं, कि आखिर दोनों देशों के बीच की ये दोस्ती डिफेंस, सिक्योरिटी और ट्रेड के साथ साथ इंडो-पैसिफिक में चीन को काउंटर करने के लिए कितना जरूरी है?
शुक्रवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिखर सम्मेलन किया गया है, जिसमें दोनों देशों के बीच मजबूत डिफेंस, सिक्योरिटी और व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट़्रेलियन प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने एक स्थिर, शांत, खुला, समावेशी और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की मांग की है, जहां चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। भारत दौरा खत्म करने के बाद ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री अमेरिका जाने वाले हैं, जहां वो राष्ट्रपति बाइडेन के साथ AUKUS सुरक्षा समझौते को औपचारिक रूप देने के लिए अहम बातचीत करेंगे। भारत पहले से ही ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के साथ क्वाड का अहम सदस्य है, लिहाजा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच होने वाले ऑकस समझौते पर भी भारत की नजर होगी, क्योंकि इस दौरान पनडुब्बियों को लेकर दोनों देशों के बीच समझौते होने की संभावना है, जिसे ऑस्ट्रेलिया चीन के खिलाफ इंडो-पैसिफिक में ही तैनात करेगा।
चीन पर नजर, यूक्रेन का जिक्र नहीं
हालांकि, भारत और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने शिखर सम्मेलन के बाद अपने बयानों में यूक्रेन की स्थिति का कोई जिक्र नहीं किया और दोनों देशों की तरफ से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, कि "उन्होंने (मोदी-अल्बनीज) ने शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता को दोहराते हुए संघर्ष और मानवीय स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है"। आपको बता दें, कि पिछले शिखर सम्मेलन के दौरान, जो मार्च 2022 में आयोजित की गई थी, उसमें तत्कालीन ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने संयुक्त बयान में यूक्रेन का जिक्र किया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता का जिक्र नहीं किया था। लिहाजा, माना यही जा रहा है, कि अब यूक्रेन को लेकर भारत को दोस्त देश भारत को असहज करने की कोशिश नहीं करेंगे और एक बात और जो जाहिर हो रही है, वो ये, कि यूक्रेन को लेकर भारत की स्थिति को दोस्त देशों ने स्वीकार किया है।
इंडो-पैसिफिक पर दोनों देशों का फोकस
अल्बनीज और पीएम मोदी के बीच हुई बैठक में इंडो-पैसिफिक पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों देशों की तरफ से जारी साझा बयान में कहा गया है, कि पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलियन पीएम ने मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं पर चर्चा की और साझा चुनौतियों का समाधान करने और एक स्थिर, खुले और समृद्ध इंडो-पैसिफिक की दिशा में काम करने के लिए डिफेंस और सिक्योरिटी कॉपरेशन के लिए प्रतिबद्धता जताई है। दोनों देशों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है, कि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और नियम आधारित व्यवस्था का सम्मान किया जाना चाहिए। जाहिर तौर पर ये बयान चीन को ध्यान में रखकर दिया गया है, जहां वो काफी आक्रामक तरीके से अपने कदम बढ़ा रहा है और छोटे देशों को दबाने की कोशिश कर रहा है। इंडो-पैसिफिक में चीन ने अपने कर्ज का जाल भी फैलाया है, लिहाजा चीन के खिलाफ दोस्त देशों का नया समझौता हो रहा है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया में मालाबार अभ्यास
आपको बता दें, कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस साल मालाबार अभ्यास भी होने वाला है, जिसका ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री ने स्वागत किया है। मालाबार अभ्यास की मेजबानी इस साल ऑस्ट्रेलिया करेगा, जो अगस्त में आयोजित होना है। मालाबार अभ्यास के दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया अपनी अपनी समुद्री सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान देंगे और रक्षा क्षेत्र में सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए तंत्र को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। हालांकि, यह आधिकारिक तौर पर क्वाड एक्सरसाइज नहीं है, लेकिन इसमें इसके सभी सदस्य देशों की भागीदारी देखी जाएगी। अल्बनीस ने पीएम को क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया है, जिसकी मेजबानी इस साल ऑस्ट्रेलिया मई में करेगा। वहीं, मालाबार एक्सरसाइज में भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ जापान और अमेरिका भी भाग लेंगे और इन चारों देशों के नेता मई महीने में ऑस्ट्रेलिया में क्वाड की बैठक करेंगे।