विशेष आराधना के साथ हुई घट स्थापना फिर जले ज्योतिकलश
रतनपुर
देवी आराधना के साथ ही नवसंवत्सर की भी शुरूआत हो गई है। मां महामाया देवी की मंदिर में बुधवार की सुबह 5 बजे माता का नव श्रृंगार किया गया। विशेष आराधना के साथ हुई घट स्थापना फिर जले ज्योतिकलश। मां महामाया देवी की पूजा देश के 51वीं शक्तिपीठ के रूप में होती है। यहां पूरे नौ दिनों तक नवरात्र पर्व की धूम रहेगी। इस बार देवी मंदिर में 25 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित की गई है। वहीं, लखनी देवी में जवारा कलश का विशेष महत्व है। यहां इनकी पूजा मां अन्नपूर्णा के रूप में की जाती है। यही वजह है कि 28 साल से मंदिर में ज्वारा कलश स्थापित किए जा रहे हैं।
चैत्र नवरात्रि पर्व पर इस बार रतनपुर स्थित प्रसिद्ध महामाया देवी मंदिर में पूरे नौ दिनों तक यहां शतचंडी यज्ञ के साथ ही जसगीत का आयोजन भी होगा। वहीं, सप्तमी पर्व की रात पदयात्री हजारों की संख्या में देवी दर्शन करने पहुंचेंगे। यहां नौ दिनों तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहेगी। यहां 31 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित करने का विश्व रिकॉर्ड भी है। पूरे नौ दिनों तक मंदिर में श्रद्धालु सुबह पांच बजे से रात 12 बजे तक दर्शन कर सकेंगे।
बुधवार की सुबह 5 बजे माता का नव श्रृंगार किया गया। उन्हें अभिषेक कराया गया। नए वस्त्र धारण कराए गए। स्वर्ण मुकुट व नथिया पहनाई गई। सुबह 7 बजे से घट स्थापना शुरू हुई। इसके बाद माता 9 दिन व रात पूजा की मुद्रा में रहेंगी। भक्त माता का दर्शन करेंगे। 9वें दिन माता का श्रृंगार होगा। देवी आराधना के साथ ही नवसंवत्सर की भी शुरूआत हो गई है। शुक्ल और ब्रह्म योग में पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई। इसके साथ ही घट स्थापना कर मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित की गई। दुर्गा सप्तशती के अनुसार बुधवार को नवरात्र होने से माता का आगमन नौका पर होगा, जो फसल, धन-धान्य और विकास के लिए लाभदायक रहेगा।