September 26, 2024

CBI-ED का दुरुपयोग कर रहा केंद्र, कांग्रेस समेत 14 विपक्षी पार्टियों की अर्जी पर SC में 5 अप्रैल को सुनवाई

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नई दिल्ली
कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी पार्टियां जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामला चीफ जस्टिस के सामने रखा।

5 अप्रैल को सुनवाई
सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी और बेल पर कोर्ट दिशानिर्देश तय करे। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। मामले में 5 अप्रैल को सुनवाई होगी।

पीएम मोदी को विपक्षी नेताओं ने लिखा पत्र
इससे पहले, दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया के गिरफ्तार होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत विपक्ष के नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था।

''हम लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं''
इस पत्र में उन्होंने कहा था, ''विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग से लगता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं। 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ सबूतों के बिना कथित अनियमितता के संबंध में गिरफ्तार किया गया था। पत्र लिखने वालों में भारत राष्ट्र समिति (BRS) के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल हैं।
 

भाजपा नेताओं के खिलाफ धीमी गति से होती है कार्रवाई

पत्र में यह भी कहा गया,  जांच एजेंसियां भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से चलती हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस के पूर्व सदस्य और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री (सीएम) हिमंत बिस्वा सरमा की सीबीआई और ईडी ने 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड घोटाले की जांच की थी। हालांकि, उनके भाजपा में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा।

इसी तरह, पूर्व टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय नारद गोफन ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामले आगे नहीं बढ़े। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महाराष्ट्र के नारायण राणे भी शामिल हैं।

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