राहुल गांधी की सांसदी जाने से क्या सपा-कांग्रेस की दूरी हुई कम? अखिलेश को याद आए अपने एमएलए
लखनऊ
मानहानि मामले में गुजरात की अदालत से राहुल गांधी को दो साल की सजा होने के अगले ही दिन उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म कर दिए जाने के मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। ऐसे में अब तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे और रायबरेली-अमेठी में 2024 में कांग्रेस को वॉकओवर नहीं देने की बात कर चुके अखिलेश यादव ने भी राहुल की सदस्यता के मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने आजम खान और अब्दुल्ला आजम जैसे नेेेताओं की विधायकी जाने की याद दिलाते हुए बीजेपी पर विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है।
यूपी के सियासी गलियारों में यह सवाल यह तैरने लगा है कि क्या राहुल की सदस्यता जाने से कांग्रेस और सपा की दूरियां कुछ कम हुई हैं? क्या इस मुद्दे पर विपक्ष एकजुट हो सकता है? बता दें कि राहुल की सदस्यता को लेकर दिल्ली के मुुुुुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई अन्य विपक्षी दिग्गजों ने भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है। राहुल के समर्थन में विपक्षी नेताओं के ऐसे बयानों को राजनीतिक जानकार भविष्य की राजनीति के केंद्र में नए समीकरणों के उभरने और विपक्षी दलों के बीच दूरियां कम होने के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि अभी तक ममता बनर्जी, अखिलेश यादव समेत तमाम बड़े विपक्षी नेता गैर भाजपाई, गैर कांग्रेसी तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद करते रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के पास राहुल के इस दर्द को शिद्दत से महसूस करने के कारण भी हैं। ऐसी ही वजहों से उत्तर प्रदेश में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता जा चुकी है। विधायक इरफान सोलंकी भी लगातार ट्रायल का सामना कर रहे हैं। अब अखिलेश ने आरोप लगाया है कि इरफान सोलंकी पर इसलिए अन्याय हो रहा है कि सरकार उनकी सदस्यता लेना चाहती है। राहुल की सदस्यता जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में अखिलेश यादव ने कहा कि जब से यूपी में भाजपा की सरकार आई है। तब से प्रशासन का साथ लेकर झूठे मुकदमे लगवाए। कई ऐसे मौके आए हैं जब प्रशासन और शासन ने मिलकर समाजवादी पार्टी के सदस्यों की सदस्यता ली है। आजम खान और उनके बेटे की भी सदस्यता गई।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही सपा के सिटिंग एमएलए पर झूठे केस लगाने का काम किया गया। दूसरे कैडर के अधिकारी को बुलाया गया कि आपको समाजवादी पार्टी के सदस्य की सदस्यता लेनी है। आज कांग्रेस के सबसे बड़े नेता की सदस्यता गई है। अखिलेश ने कहा कि आज अगर बीजेपी के कई नेताओं पर कार्रवाई हो तो कई बीजेपी के नेताओं की सदस्यता चली जाएगी। भाजपा वाले जानबूझकर के जो असली मुद्दे हैं जैसे महंगाई और बेरोजगारी उनसे ध्यान हटाना चाहते हैं। इनके ही जो मित्र उद्योगपति हैं जिन्होंने देश का पैसा डुबाया है। उनसे ध्यान हटाने के लिए आज कांग्रेस के नेता के साथ हुआ है। समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ पहले हो चुका है।
तीसरे मोर्चे को लेकर अभी तक कांग्रेस से बना रखी है दूरी
वैसे, 2024 के चुनाव के लिए देश में तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर प्रयासरत अखिलेश यादव ने अभी तक कांग्रेस से दूरी बना रखी है। पिछले दिनों कोलकाता में आयोजित सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी उन्होंने गैर भाजपा, गैर कांग्रेस तीसरे मोर्चे के ही संकेत दिए। अखिलेश ने यहां तक कह दिया था कि रायबरेली और अमेठी में भी इस बार प्रत्याशी उतारने पर विचार होगा। उन्होंने कहा कि था कांग्रेस के समर्थन में सपा अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करती लेकिन जब सपा नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ उत्पीड़न की कोई घटना होती है तो कांग्रेस उसके साथ खड़ी नहीं होती।