पहले भी 3 बार मांग चुके थे माफी, चौथी बार भी मांग लेते तो बच सकती थी राहुल की सदस्यता!
नईदिल्ली
लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ एक्शन लिया. मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, अदालत के फैसले के बाद राहुल को तुरंत जमानत भी मिल गई. लेकिन इस फैसले की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई.
ऐसे में सवाल है कि आखिर राहुल गांधी इस मामले में फंसे कैसे? क्या इसके पीछे बीजेपी है? तो सच ये है कि इसके पीछे बीजेपी नहीं है, बल्कि इसके पीछे वकीलों की वो टीम है, जो इस मामले में राहुल गांधी की पैरवी कर रही थी. ऐसे में लगता है कि इन्हीं वकीलों की वजह से राहुल गांधी इस मामले में इस कदर फंस गए कि उन्हें अपनी संसद की सदस्यता तक गंवानी पड़ी.
मानहानि के जो कानूनी मामले होते हैं, उनमें से ज्यादातर मामलों का निपटारा माफी के साथ ही हो जाता है और इस मामले में भी अगर राहुल गांधी ने माफी मांग ली होती तो शायद अदालत में ही इस पर कोई समझौता हो जाता और तब अदालत राहुल गांधी को ना तो दोषी करार देती और ना ही इसकी वजह से उनकी संसद की सदस्यता रद्द होती.
माफी मांगने से बच जाती सदस्यता?
दरअसल ये सबकुछ सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि राहुल गांधी सूरत की अदालत में तीन बार पेश हुए और तीनों में एक बार भी उन्होंने अदालत में ये नहीं कहा कि वो अपने बयान के लिए माफी मांगते हैं. जबकि ऐसा नहीं है कि, इससे पहले उन्होंने कभी मानहानि के मामलों में माफी नहीं मांगी.
इससे पहले 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए 'चौकीदार चोर है' का जो नारा लगाया था, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने तीन बार माफीनामा पेश किया था और इनमें जो अंतिम माफीनामा था, इसमें राहुल ने चौथे पॉइंट में ये लिखा था कि वो बिना शर्त अपने इस गलत बयान के लिए माफी मांगते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी थे और उन्होंने तब राहुल गांधी जो सलाह दी, उसकी वजह से राहुल गांधी माफी मांग कर इस केस से मुक्त हो गए थे. राहुल गांधी ऐसा ही कुछ इस मौजूदा मामले में भी कर सकते थे. लेकिन शायद उनके वकीलों ने इस बार उन्हें ये सलाह दी कि वो माफी नहीं मांगे और इसी वजह से राहुल गांधी इस मामले में फंसते चले गए और अब वो इसकी वजह से सांसद से पूर्व सांसद बन गए.
कई नेताओं ने मांगी है माफी
गौरतलब है कि हमारे देश के बहुत सारे नेता ऐसे हैं जिन्होंने झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगा बड़े-बड़े नेताओं की मानहानि की और बाद में जब ये मामले अदालत पहुंचे तो इन नेताओं ने बिना देर किए माफी मांग ली. माफी के साथ इन नेताओं ने अदालत में खड़े होकर यह भी माना कि उनके आरोप गलत थे.
केजरीवाल ने मांगी माफी
इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हैं, जो अब तक मानहानि के तीन मामलों में माफी मांग चुके हैं. इनमें पहला मामला भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी से जुड़ा है, जिसमें अरविंद केजरीवाल ने उन्हें देश के सबसे सबसे भ्रष्ट नेताओं में से एक बताया था. लेकिन बाद में जब ये मामला अदालत में पहुंचा तो अरविंद केजरीवाल ने बिना शर्त अपने इस बयान के लिए नितिन गडकरी से माफी मांग ली थी.
इसी तरह वर्ष 2018 में अरविंद केजरीवाल ने ये आरोप लगाया था कि जब कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भारत सरकार में संचार मंत्री थे. तब उनके बेटे अमित सिब्बल एक मामले में एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर पेश हुए थे. लेकिन बाद में जब कपिल सिब्बल ने इन आरोपों के लिए अरविंद केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा किया तो अरविंद केजरीवाल ने उनसे माफी मांग ली. इस मामले में मनीष सिसोदिया भी आरोपी भी थे और उन्होंने भी अदालत में माफी मांगी थी.
इसके अलावा मार्च 2018 में अरविंद केजरीवाल ने अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स के काले कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाया था. लेकिन इस मामले में भी उन्होंने कोर्ट में माफी मांग ली थी.