बांटे ही नहीं तो कहां गए 15 लाख के सेनेटरी पैड, 5.8 लाख पैकेट खरीदने का दावा
लखनऊ
किशोरियों को बांटे जाने वाले सेनेटरी पैड में भी बरेली में स्वास्थ्य विभाग में गोलमाल हो गया। करीब 15 लाख से अधिक कीमत का सेनेटरी पैड कहां गया, हिसाब नहीं मिल रहा। कागजों के अनुसार 5.8 लाख पैकेट सेनेटरी पैड खरीदे गए, लेकिन सीएचसी पर सिर्फ 1.46 लाख पैकेट ही पहुंचे हैं। स्टेट बजट से हुई खरीदारी में स्टोर से सीएचसी तक के कर्मियों की भूमिका संदिग्ध हो गई है।
2020-21 में बजट आया, लेकिन कोरोना महामारी के चलते स्कूल-कॉलेज बंद थे। ऐसे में उसी बजट से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सेनेटरी पैड खरीदा गया था। इसमें करीब 23 लाख खर्च किए गए और एक सेनेटरी पैड पैकेट की कीमत चार रुपये से भी कम थी। करीब 5.8 लाख पैकेट खरीदने का दावा किया गया, लेकिन सीएचसी पर मार्च तक महज 1.5 लाख पैकेट ही पहुंचे। चार लाख से अधिक सेनेटरी पैड के पैकेट का पता ही नहीं चला। मामला सीएचसी पर हुई रिसिविंग से सामने आया। सीएचसी पर पैकेट रिसिव करने के बाद फार्मासिस्टों ने उनकी स्टॉक इंट्री की। पूरे जिले में सिर्फ 1.5 लाख पैकेट ही स्टोर से सीएचसी को भेजे गए हैं।
स्टोर से सीएचसी भेजा जाता है सेनेटरी पैड
आरकेएसके कार्यक्रम के तहत स्टेट बजट से सेनेटरी पैड खरीदे जाते हैं। अप्रैल से लेकर मार्च तक उनको बांटना होता है। स्टोर से सीएचसी और वहां से बीआरसी जाते हैं। स्टोर से सीएचसी के बीच में गोलमाल हुआ है। यही वजह है कि चार लाख से अधिक सेनेटरी पैड के पैकेट बीआरसी तक नहीं पहुंचे। बीते साल अप्रैल में खरीदे गए पैड को अगर स्टोर में रखा गया है तो वह भी गलत है। यह किशोरियों को बांटने के लिए खरीदा जाता है जिससे उनको बीमारियों से बचाया जा सके।
बांटने की जगह स्टोर में रखना भी गलत
सरकार का निर्देश है कि प्रत्येक किशोरी को 12-12 पैकेट सेनेटरी पैड का दिया जाए। इसे मार्च से जुलाई-अगस्त माह तक बांटने का निर्देश है, जिससे किशोरियों तक आसानी से पहुंच सके। स्टोर में लाखों सेनेटरी पैड रखने का क्या औचित्य है। और अगर स्टोर में भी सेनेटरी पैड का पैकेट नहीं है तो चार लाख से अधिक सेनेटरी पैड पैकेट गए कहां। उसकी खरीद पर भी सवाल उठने लगा है।
आरकेएसके नोडल अधिकारी, डॉ. सीपी सिंह ने कहा कि सेनेटरी पैड स्टेट बजट से खरीदा जाता है, स्टोर प्रभारी उसे वितरित करते हैं। मुझे तो सिर्फ यह पता है कि इससे आरकेएसके का कोई मतलब नहीं है। जितनी पैड सीएचसी तक पहुंचे हैं, उसका रिकार्ड है।