अरुणाचल की 11 जगहों के चीन ने बदले नाम तो अमेरिका ने कहा- हम हमेशा भारत के साथ खड़े
चीन
चीन द्वारा भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए जाने को अमेरिका ने भी कड़ा विरोध जताया। अमेरिका के व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि ये कुछ ऐसी चीजें है, जिस पर अमेरिका हमेशा से खड़ा रहा है। हम अरुणाचल प्रदेश के इलाकों का नाम बदलकर क्षेत्र के दावे को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा कोशिशों का कड़ा विरोध करते हैं।
अमेरिका ने कहा है कि वह अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देता है और क्षेत्रीय दावों के तहत स्थानीय इलाकों का नाम बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करता है। अमेरिका की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए थे। चीन इस क्षेत्र को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर इस पर अपना दावा करता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका उस क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश) को लंबे समय से (भारत के अभिन्न अंग के रूप में) मान्यता देता रहा है। हम इलाकों का नाम बदलकर क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करते हैं।
‘गढ़े' गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जायेगी
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे सिरे से खारिज करते कहा कि ‘मनगढंत' नाम रखने से हकीकत बदल नहीं जायेगी। बागची ने कहा कि हमने ऐसी खबरें देखी हैं। यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने ऐसा प्रयास किया है। हम इसे सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा था, है और रहेगा। ‘गढ़े' गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जायेगी।
गौरतलब है कि हाल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के लिए ‘चीनी, तिब्बती और पिनयिन' अक्षरों में नामों की तीसरी सूची जारी की है। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के अनुसार तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान बताता है। चीन की सरकार द्वारा संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स' ने सोमवार को अपनी एक खबर में कहा कि मंत्रालय ने रविवार को 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, जिनमें दो भूमि क्षेत्रों, दो आवासीय क्षेत्रों, पांच पर्वत चोटियों और दो नदियों सहित उनके सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं।
यह चीन के संप्रभु अधिकारों के दायरे में किया गया
इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी सूचीबद्ध की गई है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने भारत की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि ‘जंगनान' चीनी क्षेत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि स्टेट काउंसिल के भौगोलिक नामों को लेकर प्रशासन के संबंधित नियमों के अनुसार चीन की सरकार के सक्षम अधिकारियों ने जंगनान के कुछ हिस्सों के नामों का मानकीकरण किया है। यह चीन के संप्रभु अधिकारों के दायरे में किया गया है।
चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते
चीनी मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जारी मानकीकृत भौगोलिक नामों की यह तीसरी सूची है। अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की गई थी, और 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का पुन: नामकरण ऐसे समय में किया है, जब पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। पिछले महीने ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है, जो कई स्थानों पर दोनों देशों की सीमा पर सैनिकों की काफी करीब तैनाती के कारण भी है। हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी कहा था कि सीमा पर कई स्थानों पर पीछे हटने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है। भारत का कहना है कि सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित हुए बिना चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं।