September 26, 2024

अमृतपाल सिंह ने भिंडरावाले के जैसा दिखने के लिए जॉर्जिया में कराई थी सर्जरी

0

अमृतसर

खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका है. इसी बीच उसे लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है. अमृतपाल ने भारत आने से पहले भिंडरावाले की तरह दिखने के लिए जॉर्जिया में सर्जरी कराई थी. इसका खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि अमृतपाल के साथियों ने किया है, जो कि फिलहाल डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं.

सूत्रों के मुताबिक खालिस्तान समर्थक के साथियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि अमृतपाल करीब 2 महीने तक जॉर्जिया में रहा था. एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने खुलासा किया है कि अमृतपाल ने ये सर्जरी भिंडरावाले की तरह दिखने के उद्देश्य से कराई है.

वारिस पंजाब दे संगठन का मुखिया 18 मार्च से फरार है. उसके चाचा हरजीत सिंह और दलजीत सिंह कलसी समेत उसके 8 करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ भेजा जा चुका है. हाल ही में खुफिया अधिकारियों की एक टीम उनसे पूछताछ करने वहां गई थी.

पंजाब में पिछले कुछ दिनों से उसे जरनैल सिंह भिंडरावाले-2.0 तक कहा जा रहा है. दरअसल, भिंडरावाले ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाई थी और पूरे पंजाब में कोहराम मचा दिया था. ठीक उसी तरह अमृतपाल  सिर पर तुलनात्मक रूप से भारी पगड़ी बांधता है और भीड़ को उकसाने वाले बयान देकर माहौल गरम कर देता है.

भिंडरावाले की तरह है अमृतपाल का पहनावा

29 सितंबर 2022 को 'वारिस पंजाब दे' संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोडे गांव में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसी प्रोग्राम में अमृतपाल को संगठन का प्रमुख नियुक्त किया गया था. माना जाता है कि कार्यक्रम स्थल का चयन काफी रणनीतिक था, क्योंकि यह जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है. भिंडरावाले की तरह अमृतपाल भी नीली गोल पगड़ी पहनता है. अपने सफेद कपड़ों में एक छोटी कृपाण रखता है और भड़काऊ भाषण भी देता है, इससे कट्टरपंथी सिख युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है.

दीप सिद्धू की मौत के बाद लोगों को जोड़ना शुरू किया

अमृतपाल सिंह जो संगठन 'वारिस पंजाब दे' संचालित करता है, वो एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने बनाया था. बाद में 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. दीप सिद्धू किसान आंदोलन में सक्रिय रहा और लालकिले पर धार्मिक झंडा फहराने से चर्चा में आया था. दीप सिद्धू के निधन के बाद इस संगठन की कमान कुछ महीने पहले ही दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संभाली और वो इसका प्रमुख बन गया. उसने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाई थी. दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह ने 'वारिस पंजाब दे' वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया.

कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाले?

 

  • – जरनैल सिंह धर्म और ग्रंथों की शिक्षा देने वाली संस्था 'दमदमी टकसाल' का अध्यक्ष चुना गया, उसके बाद उसके नाम के साथ भिंडरावाले जुड़ गया, तब उसकी उम्र करीब 30 साल थी. कुछ ही महीनों बाद भिंडरावाले ने पंजाब में उथल-पुथल पैदा कर दी. 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई. इसमें 13 अकाली कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. इसके बाद रोष दिवस मनाया गया. इसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले ने हिस्सा लिया. भिंडरावाले ने पंजाब और सिखों की मांग को लेकर कड़ा रवैया अपनाया. वो जगह-जगह भड़काऊ भाषण देने लगा.
  • – 80 के दशक की शुरुआत में पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगीं. 1981 में पंजाब केसरी के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हो गई. पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं के लिए भिंडरावाले को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सका.
  • – अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. कुछ दिन बाद पंजाब रोडवेज की बस में घुसे बंदूकधारियों ने कई हिंदुओं को मार दिया. बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच इंदिरा गांधी ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया.
  • – पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए भिंडरावाले को पकड़ना बहुत जरूरी था. इसके लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' लॉन्च किया. 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया गया.
  • – एक जून से ही सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरू कर दी थी. पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों को रोक दिया गया. बस सेवाएं रोक दी गईं. 3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया. 4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी. अगले दिन सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक भी स्वर्ण मंदिर पर पहुंच गए. भीषण खून-खराबा हुआ. 6 जून को भिंडरावाले को मार दिया गया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed