November 28, 2024

ब्रिटिश शाही खजाने में भेजे गए भारतीय रत्न-जवाहरात के बारे में औपनिवेशिक फाइल से मिली जानकारी

0

लंदन
भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन में सहायक ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन विभाग ‘इंडिया ऑफिस’ के अभिलेखागार से औपनिवेशिक युग की एक फाइल से यह बात सामने आई है कि कई कीमती रत्न और जवाहरात भारत से ब्रिटिश शाही खजाने में भेजे गए थे।

‘कॉस्ट ऑफ द क्राउन’ श्रृंखला के हिस्से के रूप में ‘द गार्डियन’ अखबार अगले महीने महाराजा चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी से पहले ब्रिटिश शाही परिवार की संपत्ति और वित्त की जांच कर रहा है।

अखबार ने इस सप्ताह एक रिपोर्ट में ‘इंडिया ऑफिस’ के अभिलेखागार की 46 पन्नों की फाइल का हवाला दिया गया है। इसमें एक पड़ताल का विवरण है, जिसमें महारानी मैरी (दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की दादी) द्वारा उनके शाही गहनों के स्त्रोत का जिक्र किया गया है।

इसके संदर्भों में, पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह के अस्तबल में घोड़ों को सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक पन्ना जड़ी सोने की बेल्ट है, जो अब महाराजा चार्ल्स के शाही संग्रह का हिस्सा है।

अखबार की पड़ताल में खुलासा किया गया है कि, ‘‘1912 की रिपोर्ट बताती है कि कैसे चार्ल्स के शाही संग्रह में शामिल बेल्ट सहित अनमोल रत्न जीत की वस्तु के रूप में भारत से लाये गए और बाद में महारानी विक्टोरिया को दिए गए।’’

इसमें कहा गया, ‘‘वर्णित वस्तुएं अब ब्रिटिश शाही घराने की संपत्ति के रूप में महाराजा के स्वामित्व में हैं।’’

बाद में, 19वीं सदी के दौरान रणजीत सिंह के बेटे दलीप सिंह को पंजाब को ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को सौंपने के लिए मजबूर किया गया था।

समझा जाता है कि कोहिनूर हीरा ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों द्वारा इसी तरह की लूट-खसोट के परिणामस्वरूप महारानी विक्टोरिया के कब्जे में आ गया था।

उल्लेखनीय है कि राजनयिक विवाद से बचने के लिए छह मई को होने वाली महारानी कैमिला की ताजपोशी के दौरान कोहिनूर हीरा जड़ित ताज का उपयोग नहीं करने का फैसला किया गया है।

बकिंघम पैलेस के प्रवक्ता ने अखबार से कहा कि दासता और उपनिवेशवाद ऐसे विषय हैं, जिन्हें महाराजा चार्ल्स तृतीय गंभीरता से लेते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *