चीनी कंपनी हुआवेई पर सुरक्षा डाटा में सेंध का आरोप ,कई देशों में काम पर प्रतिबंध
बीजिंग
चीन के नापाक इरादों और अन्य राष्ट्रों के सुरक्षा डाटा में सेंध मारने के आरोपों के चलते चीन की दूरसंचार कंपनी हुआवेई टेक्नोलॉजीज लगातार प्रतिबंधों का सामना कर रही है। कंपनी पर आरोप है कि वह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और सुरक्षा एजेंसियों से भागीदारी कर अन्य देशों के सुरक्षा डाटा में सेंध लगा रही है। हाल ही के वर्षों में कई देशों में उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए। यही वजह है कि कई देशों ने उसके काम पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यहां उल्लेखनीय है कि यूरोपीय बाजार, हुआवेई के दूरसंचार और मोबाइल फोन की बिक्री के लिए सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन बाजार में कंपनी की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा चिताओ पर बहस के बाद कई देशों ने चीनी कंपनी के खिलाफ गहन जांच की है और यूरोपीय 5 जी बाजार में कंपनी के कारोबार को प्रतिबंधित कर दिया गया।
यूरोपीय टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की दूरसंचार कंपनी हुआवेई की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और सुरक्षा एजेंसियों के साथ विवादास्पद भागीदारी, कंपनी के लिए मुसीबत बन गई है। कई ऐसे देशों में कंपनी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जो खुद अपने बुनियादी दूरसंचार ढांचे को विकसित करने में सक्षम हैं।
कंपनी के क्रियाकलापों के चलते हाल ही में कनाडा ने हुआवेई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित कर दिया। कनाडा का मानना है कि कंपनी ने अपनी सेवाओं और उत्पादों के माध्यम से अनधिकृत सेंध लगाकर उनका सुरक्षा डाटा जुटाया है। कनाडा ने 2018 में हुआवेई के हाई-प्रोफाइल शीर्ष कार्यकारी मेंग वानझोउ को गिरफ्तार भी किया था। उस पर ईरान में कंपनी के व्यापारिक सौदों के बारे में कथित तौर पर बैंकों को गुमराह करने का आरोप था।
यूरोपियन टाइम्स के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2019 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ हुआवेई की कथित संलिप्तता से संबंधित सुरक्षा खतरों पर बहस का नेतृत्व किया। कंपनी की गिरती साख के कारण, अमेरिकी अपने यहां दूरसंचार उपकरण, संचालन और दूरसंचार व्यवसाय में हुआवेई के 5जी परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा चुका है।
अमेरिका का यह भी आरोप है कि चीनी दूरसंचार तकनीकी दिग्गज, अमेरिकी बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी विनिर्देशों की चोरी में सक्रिय रूप से शामिल हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने 2019 में यह आरोप भी लगाया था कि हुआवेई, वाशिंगटन में टी-मोबाइल कंपनी बेलेव्यू से व्यापार रहस्य चुरा रहा था। इसी मामले में कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, साजिश, वायर धोखाधड़ी, न्याय में बाधा सहित कई अपराधों में जांच शुरू की थी। जिसके चलते मई 2019 में अमेरिका ने अपनी कंपनियों को हुआवेई द्वारा निर्मित दूरसंचार उपकरणों के उपयोग नहीं करने की हिदायत दी और हुआवेई पर प्रतिबंध लगा दिया।
ऑस्ट्रेलिया ने भी 2018 में हुआवेई के 5जी उपकरण रोलआउट करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ एक अन्य चीनी दूरसंचार दिग्गज जेटीई को भी प्रतिबंधित कर दिया था। जिसके तुरंत बाद जापान ने भी हुआवेई और जेटीई को काली सूची में डाल दिया। उसी साल यूके ने भी हुआवेई को 5जी उपकरण रोलआउट करने से प्रतिबंधित कर दिया था। न्यूजीलैंड ने भी 2018 में ही ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए हुआवेई को देश के पहले 5जी नेटवर्क से प्रतिबंधित कर दिया। 2020 में भारत ने भी हुआवेई और जेटीई को अपने 5 जी रोलआउट से बाहर रखने का फैसला किया था।
दक्षिण पूर्व एशिया में 2019 में मलेशिया ने भी घोषणा की थी कि उसके सुरक्षा मानक समय-समय पर अपनी घरेलू कंपनियों के साथ हुआवेई के जुड़ाव को निर्धारित करेंगे। जो हुआवेई के उपकरणों के साथ चिताओ को दर्शाता है। मध्य पूर्व में भी जो देश हुआवेई उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, अमेरिकी उन पर कड़ी नजर रखे हुए है।
आरोप है कि चीन अपनी सहयोगी कंपनी हुआवेई के माध्यम से 5जी नेटवर्क विकसित करने के दौरान अन्य देशों की सुरक्षा जानकारी तक पहुंच बना लेता है। यही वजह है हुआवेई अपने उपभोक्ता राष्ट्रों के सुरक्षा डाटा में सेंध लगाने के लिए बदनाम है।
इसके चलते कई देशों की सरकार ही नहीं बल्कि अन्य कंपनियां भी डेटा पायरेसी और साइबर सुरक्षा को लेकर अपनी चिताओ के कारण हुआवेई के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर रही हैं। मोबाइल कंपनी एप्पल का आरोप है कि हुआवेई ने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उसके व्यापार रहस्य चुराए हैं।
चीनी कंपनी की साख इस कदर गिर चुकी है कि जनवरी 2019 में एक गैर-कॉर्पोरेट इकाई ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने यहां तक घोषणा कर दी कि वह इस कंपनी से अपनी अनुसंधान परियोजनाओं के लिए कोई दान या अनुदान स्वीकार नहीं करेगा।
यूरोपीय देशों में निजी दूरसंचार कंपनियां अपने 5जी नेटवर्क को विकसित करने के लिए हुआवेई के बजाय अन्य कंपनियों का विकल्प चुन रही हैं। फ्रांस और जर्मनी ने स्पष्ट किया है कि उनके दूरसंचार ऑपरेटर 2028 में हुआवेई के साथ खत्म हो रहे अपने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कर पाएंगे।
2018 के बाद से ही चीन की बिग-टेक कंपनियों जिनमे मुख्य रूप से हुआवेई भी शामिल है, उन्हें अमेरिका और चीन के संबंधों में आई खटास का दुष्परिणाम भुगतना पड रहा है। माना जाता है कि चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के साथ जुड़ाव के कारण हुआवेई को चीन सरकार का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है।